Wednesday, April 21, 2010

थरूर, राठौर से पूछ लो, हंसी बहुत महंगी है

जी हां हंसी आजकल के दौर में बहुत महंगी हो चुकी है। इंसान अपनी रोजमर्रा की जिन्‍दगी में इतना व्‍यस्‍त हो गया है कि उसके पास हंसने का समय ही नहीं है। ऐसे में अगर वह हंसने के लिए वक्‍त निकाले तो हो सकता है एक वक्‍त का खाना कम पड़ जाए, क्‍योंकि हंसी के वक्‍त की ऐवज में तो वह काम से लदा हुआ है। ताकि अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके। इससे भी बड़ी बात यह कि मुश्किल की घड़ी में हंसना तो विरले ही जानते हैं। लेकिन कुछ लोग हैं जो मुश्किल की घड़ी में भी हंसने की हिम्‍मत दिखाते हैं, लेकिन हंसी इन्‍हें भी महंगी ही पड़ती है! भई मैंने तो कुछ ऐसा ही देखा है, अगर आपने हंसी का किसी पर अच्‍छा असर देखा हो तो ये आपकी किस्‍मत।

शशि थरूर आईपीएल की दलदल में ऐसे फंसे कि आखिर उन्‍हें इस्‍तीफा देना पड़ा। लेकिन क्‍या आपको इससे पहले का पूरा वाकिया याद है? नहीं! तो कोई बात नहीं, मैं बता देता हूं। आईपीएल में चौथे साल से दो और टीमें कोच्चि और पुणे की टीमें भी जुड़ जाएंगी। इस साल इन दोनों की टीमों की निलामी हुई और कोच्चि की टीम से हमारे ट्विटर मंत्री के हित जुड़े होने की बात सामने आई। आईपीएल कमीश्‍नर ललित मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शशि थरूर के बारे में ये बातें कहीं, साथ ही उनकी दोस्‍त सुनंदा पुष्‍कर के साथ ही उनके रिश्‍तों पर भी बात कही गई। विपक्ष के इस्‍तीफा देने के दबाव के बीच शशि थरूर को संसद में अपना पक्ष रखने को कहा गया। उन्‍होंने मुस्‍कुराते हुए अपनी बातें कहनी शुरू की लेकिन विपक्ष ने उनकी एक न चलने दी और आखिर उन्‍होंने लिखित में अपना बयान टेबल पर रख दिया। उनके लिए वह हंसी या मुस्‍कुराहट महंगी पड़ी और आखिर उन्‍हें इस्‍तीफा देना पड़ा।

राठौर तो याद है आपको, वही रुचिका के साथ छेड़छाड और उसके बाद उसे आत्‍महत्‍या के लिए उकसाने का दोषी हरियाणा का पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर। एक बार कोर्ट ने उसको राहत क्‍या दी, वह कोर्ट से बाहर मुस्‍कुराते हुए ऐसे निकला जैसे कोई जंग जीत ली हो। बस फिर क्‍या था, हमारा मीडिया आजकल कुछ ज्‍यादा ही सजग है और उसने मानो राठौर की हंसी पर ग्रहण लगा दिया। हंसी पर सवाल उठे तो राठौर साहब कभी पंडित नेहरू से प्रेरणा लेने की बात करने लगे तो कभी अपनी शक्‍ल को ही हंसी का गुनहगार बताने लगे। वैसे अब 'लाफिंग बुढ़ा' राठौर को समझ में आ गया होगा कि एक हंसी कितनी महंगी पड़ सकती है।

इंटरनेशनल क्‍वालिटी का ट्विटर मंत्री
एक बार फिर अपने ट्विटर मंत्री की बात करते हैं। वैसे मैं सच बताऊं तो मुझे उनका संसद में मुस्‍कुराते हुए विपक्ष के शब्‍द बाणों का सामना करने का अंदाज बेहद भाया। भई ये तो अपने अपने आराम का मामला है। वैसे ट्विटर के रास्‍ते उनकी विदेश राज्‍य मंत्री की कुर्सी से विदाई से पहले भी मंत्री जी कई बार अपने इंटरनेशनल क्‍वालिटी के नेता होने को साबित कर चुके हैं। सबसे पहले तो मंत्री पद संभालने के बाद पांचसितारा होटल में ठहरने को लेकर खूब बवाल हुआ। इसके बाद इकोनॉमी क्‍लास को 'कैटल क्‍लास' (हिन्‍दी में शब्‍दश: अर्थ जानवरों की श्रेणी और अंग्रेजी में गरीबों के लिए इस्‍तेमाल होने वाला एक आम शब्‍द) कहने के बाद भी खूब बवाल हुआ। संसद में जिस तरह से वे मुस्‍कुराते हुए विपक्ष के हृदय छेदी (भेदी) बाणों का सामना कर रहे थे उससे यह तो समझ में आता ही है कि संयुक्‍त राष्‍ट्र (यूएन) में बाल झटकते हुए बोलने वाले हमारे पूर्व ट्विटर मंत्री हमारे सांसदों को भी मन ही मन कैटल क्‍लास कह कर हंस रहे हों। लेकिन हमारे कैटल क्‍लास मंत्रियों को न तो उनका बाल झटकना पसंद आया और न ही हंसना। तो भई मोरल ऑफ द स्‍टोरी ये है कि हंसी महंगी हो गई है, और आपने फिर भी हंसने को कोशिश की तो महंगी पड़ जाएगी। हंसी में थोड़ी 'चीन कम' चलेगी, इसमें हर्ज भी क्‍या है। कुछ समय पहले की ही तो बात है हमारे कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा भी था कि भई ज्‍यादा चीनी खाने से डायबटीज हो जाती है। हंसी के मामले में भी कुछ ऐसा ही है, इसलिए थोड़ा थोड़ा भी नहीं अकेले में अच्‍छी तरह से देख लेने के बाद की कहीं कोई छुपा कैमरा तो नहीं देख रहा, इसकी तसल्‍ली होने के बाद ही हंसा करो।

Monday, April 5, 2010

दुनिया की आखिरी लड़की का स्‍वयंवर - सानिया के बहाने


सोहराब मिर्जा से सानिया की शादी टूटी तो हमने भी तैश में आकर 'दीवानों की मौजां ही मौजां' नाम से एक ब्‍लॉग लिख डाला था। लेकिन पिछले कुछ दिनों से जैसे सानिया सुर्खियों में छाई हुई है, भई उसने तो मुझे व्‍यक्तिगत तौर पर बड़ा हैरान किया है। पहली बात तो मैं सभी दीवानों को यह बता देना चाहता हूं कि भई सानिया की निजी जिन्‍दगी भी है और अपनी जिन्‍दगी का फैसला लेने का उसे पूरा हक है। फिर चाहे वह शोएब मलिक से शादी करे या सोमालियाई डाकूओं से, उससे हमारी जिन्‍दगी पर भला क्‍या असर पड़ सकता है।

असली मुद्दे पर आऊं तो मैं एक बार फिर अपनी हैडिंग की तरफ आ रहा हूं। जिस तरह से सानिया और शोएब की शादी को लेकर हो हल्‍ला मचा हुआ है और देशभर में सानिया के फैसले से नाराजगी जताई जा रही है, उससे तो ऐसा लग रहा है जैसे सानिया दुनिया की आखिरी लड़की हो और उसने भी परीस्‍तान का कोई शहजादा चुन लिया हो और अब धरती लड़की विहीन हो गई हो। वैसे एक बात यह भी है कि अभी तक स्‍वयंवर सीरीज के तीसरे सीजन के लिए सिर्फ कयास ही लगाए जा रहे हैं, अगर तीसरे सीजन के बारे में सोचा जाए तो शोएब को प्रमुख दूल्‍हा मानते हुए राखी के स्‍वयंवर की तरह सानिया का स्‍वयंवर रचा जा सकता है। इस बार इसका नाम 'सानिया का स्‍वयंवर- दुनिया की आखिरी लड़की के लिए जंग' रखा जा सकता है। यह तो रही संभावना की बात, आगे सानिया के बहाने एक बेहद संजीदा मामला जो मेरे जहन में उठ रहा है उसे उघाड़े बिना न तो मुझे ही नींद आएगी और न ही आप इस ब्‍लॉग को पूरा मान पाएंगे।

सानिया के बहाने मुझे देश में गिरते सेक्‍स रेशियो (लिंग अनुपात) ने बेहद चिंतित कर दिया है। देश में हर 10 साल बाद जनगणना होती है और हर बार महिलाओं की संख्‍या पुरुषों की तुलना में कम होती जाती है। भई मैं तो उस दिन के बारे में सोच रहा हूं, जिस दिन प्रति हजार पुरुषों पर सिर्फ एक महिला रह जाएगी और जरा सोचिए कि वह स्थिति कैसी होगी जब पूरे देश में सिर्फ एक ही लड़की रह जाए। सच मानिए अगर ऐसा हो गया तो उसके लिए तलवारें खींचने वालों में मैं सबसे पहले होऊंगा। वैसे मैं ऐसा नहीं करुंगा क्‍योंकि मैं थोड़ा सा सौभाग्‍यशाली हूं क्‍योंकि सिर्फ दो माह बाद मेरी शादी है और वो दुनिया में अकेली लड़की नहीं है, जिसके लिए मुझे जंग लड़नी पड़े। सोचिए कि एक दिन ऐसा आ जाए, सानिया पूरे देश में इकलौती लड़की हो और वह भी एक पाकिस्‍तानी से शादी की बात कर रही हो, तो यकीन मानिए दोस्‍तो मैं, आप और हम सब शोएब के सामने ठीक उसी तरह खड़े हो जाते जैसे मुगलों के सामने महाराणा प्रताप या शिवाजी खड़े हुए थे। भले ही फिर हश्र जो होता लेकिन जब तक शरीर में खून का एक भी कतरा बचता सानिया के साए पर तक भी उसे नहीं पहुंचने देते। लेकिन दोस्‍तो अभी वह स्थिति नहीं आई है, इसलिए सानिया को अपनी मर्जी से शादी करने दो। इससे दुनिया में हमारे भद्र पुरुष होने का भी संदेश जाएगा। फिर भी आपको अगर अपनी भद्रता की कोई कद्र नहीं है तो लगे रहो, सानिया हाय हाय - हाय हाय - हाय हाय। वैसे दिल की बात बताऊं तो मैं भी ऐसे मामले में भद्र पुरुष नहीं कहलाना चाहता।