Tuesday, July 19, 2011

पहाड़ों की सैर कर आया हूं

पहाड़ों की सैर कर आया हूं
एक बार फिर अपने बचपन से मिल आया हूं
यूं तो बहुत सी यादें हैं उस गांव में
जब रात जवां होती थी तारों की छांव में।

पहाड़ों की सैर कर आया हूं
दुनिया के सबसे हसीन लम्हों से फिर मिल आया हूं
वो सुबह मंद मंद हवा के साथ सूरज का उगना
और सिहरन के साथ लालिमा में उसका समा जाना
सब एक बार फिर अपनी झोली में भर लाया हूं।

एक बार फिर पहाड़ों की सैर कर आया हूं
टेढ़ी-मेढ़ी सर्पीली सी सड़कों पर
धूल उड़ाती जीपों, और झींगुरों की आवाज से
तान अपनी फिर जोड़ आया हूं।

बरसात की उस रिमझिम से
दरख्तों की उन बाहों से
और उमड़ती जवानी की आहों से
फिर बचपन के हसीन दिनों को जी आया हूं।