Monday, April 11, 2016

एक इंडिया हैप्पी वाला, एक भारत बिना पानी वाला

देश में क्रिकेट प्रेमियों पर धीरे-धीरे आईपीएल का सुरूर चढ़ने लगा है। चढ़े भी क्यों नहीं! आईपीएल के इतिहास की शायद सबसे अच्छी टैग लाइन इसी बार दी गई है...  ‘एक इंडिया हैप्पी वाला’। आईपीएल के टीजर में लोगों को लड़ते-झगड़ते, तोड़-फोड़ करते दिखाया गया है, लेकिन छोटे बच्चे आकर लड़ते-झगड़ते लोगों को भारत में धर्म की तरह माने जाने वाले क्रिकेट से रूबरू कराते हैं और हर कोई खुश नजर आने लगता है।

‘प्यार वाला, मुस्कान वाला... हो… एक इंडिया हैप्पी वाला...’ जब ये पंक्तियां स्क्रीन पर गूंजती हैं तो झमाझम बूंदों में उछलते हुए बच्चे दिखाई देते हैं। क्रिकेट के कारण ही भारत में करोड़ों हाथ उस समय ऊपरवाले से दुआ के लिए भी उठते हैं, जब टीम इंडिया मुसीबत में होती है। आईपीएल में क्रिकेट तो है, हैप्पी वाला इंडिया भी है और ऊपरवाले से दुआ के लिए उठते लाखों हाथ भी हैं। इस बीच आईपीएल और उसका यह टीजर कुछ लोगों को टीज (परेशान) भी कर रहा है।

आईपीएल के विज्ञापन में झमाझम बूंदों के बीच उछलते बच्चे ‘हैप्पी वाला इंडिया’ का संदेश दे रहे हैं और देश के कई हिस्से जबरदस्त सूखे की चपेट में हैं। सूखा प्रभावित उन इलाकों में झमाझम न सही कुछ ही बूंदें भी बरस जाएं तो लोगों के चेहरों की असली खुशी सच में देखने लायक होगी। महाराष्ट्र में मराठवाड़ा और उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में लोगों को जबरदस्त पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। यहां लोग बूंद-बूंद को तरस रहे हैं और ऐसे में ‘एक इंडिया हैप्पी वाला’ बेमानी सा लग रहा है।

सूखे के कारण आईपीएल के आयोजन पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। महाराष्ट्र में तो क्रिकेट मैच रद्द कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा तक खटखटाया जा चुका है। फिलहाल आईपीएल ‘एक इंडिया हैप्पी वाला’ दिखा रहा है और बिना पानी वाले इंडिया को दिखाने की हिम्मत सही मायनों में कोई भी नहीं कर पा रहा है।

एक क्रिकेट प्रशंसक के तौर पर उस वक्त बड़ा दुख होता है, जब सूखे से लेकर पाकिस्तान से रिश्तों तक के बीच क्रिकेट को घसीट लिया जाता है। विशेषज्ञ भी तो यही कह रहे हैं। हाल में सीमित ओवरों में टीम इंडिया के कप्तान और आईपीएल में ‘राइजिंग पुणे सुपरजाइन्ट्स’ के कप्तान महेंद्र सिहं धोनी ने भी यही बात कही। धोनी ने कहा, ‘आईपीएल मैचों को रद्द करना सूखे का हल नहीं है।’ सही बात है, ये कोई हल थोड़े ही है कि क्रिकेट के खेल को रोक दिया जाए। लेकिन क्रिकेट के मैदान को खेलने लायक बनाने में जितना पानी बहाया जाता है उसको देखते हुए सूखे के बीच क्रिकेट खेलने का विरोध कर रहे आलोचक भी सही लगते हैं। जिस तरह से तनाव के पलों में लाखों प्रशंसकों की निगाहें और हाथ ऊपरवाले की ओर उठते हैं उसी तरह से देश के करोड़ों किसान भी ऊपरवाले से ही उम्मीद लगाए बैठे हैं।

सूखे ने कुएं ही नहीं उनकी आखों का पानी भी सुखा दिया है और अब वे पत्थरा सी गई हैं। हाथ हर दम ऊपरवाले से दुआ के लिए उठते हैं और जल्द ही चिंता में सिर पर आकर बिछ जाते हैं। शहरी अमीरी और ग्रामीण गरीबी को परिभाषित करने के लिए अक्सर ‘इंडिया और भारत’ की बात कही जाती है। इसी तरह आजकल ‘एक इंडिया हैप्पी वाला’ और एक भारत बिन पानी वाला हो गए हैं।