tag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.comments2024-02-06T02:52:36.780-08:00बस यूं हीDigpal Singhhttp://www.blogger.com/profile/16696207012496861744noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-75631810840538177402016-01-23T08:56:22.327-08:002016-01-23T08:56:22.327-08:00waah :)
waah :)<br />Babita Negihttps://www.blogger.com/profile/02613572132019126194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-19250923745176655042013-02-13T21:31:07.783-08:002013-02-13T21:31:07.783-08:00It's an amazing piece of writing in support of...It's an amazing piece of writing in support of all the internet users; they will take advantage from it I am sure.<br /><br />my webpage: <a href="http://www.euroteeny.com" rel="nofollow">euroteeny.com</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-71345943766007398462012-11-03T06:12:49.599-07:002012-11-03T06:12:49.599-07:00Hey! This is my 1st comment here so I just wanted ...Hey! This is my 1st comment here so I just wanted to give <br />a quick shout out and say I really enjoy reading through your posts.<br />Can you recommend any other blogs/websites/forums that go over the same subjects?<br />Thanks for your time!<br /><i>Here is my weblog</i> ; <b><a href="http://carina18pics.thumblogger.com" rel="nofollow">Reputable Website</a></b>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-32587877733914535832012-10-09T05:14:23.826-07:002012-10-09T05:14:23.826-07:00Heya i am for the first time here. I found this bo...Heya i am for the first time here. I found this board and I find It really useful & it helped me out <br />much. I am hoping to provide something back and help others like you helped me.<br /><i>Also see my site</i>: <b><a href="http://streetranger.thumblogger.com" rel="nofollow">click here for more</a></b>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-70193673321626083732011-09-22T04:54:04.502-07:002011-09-22T04:54:04.502-07:00mazaak to hai hi ye hindustaan ki janta ke sath......mazaak to hai hi ye hindustaan ki janta ke sath.... goli mardeni chaiye jisne ye आंकड़े nikale haiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-13660919954478804832011-04-17T21:12:43.789-07:002011-04-17T21:12:43.789-07:00पीएम को जनता के सामने एक उदाहरण्ा पेश्ा करना चाह...पीएम को जनता के सामने एक उदाहरण्ा पेश्ा करना चाहिए, लेकिन उन्हें इसकी कोई चिंता नहीं है। कम से कम सचिन से तो कुछ प्रेरण्ाा लें पीएम। सचिन ने करोड़ो रुपयों का श्ाराब कंपनी का विज्ञापन सिर्फ इसलिए छोड़ दिया क्योंकि वो बहुत से लोगों के आदर्श्ा हैं। इसका साफ मतलब है कि पीएम न तो किसी के आदर्श्ा हैं और न ऐसा करने के बाद किसी के आदर्श्ा हो सकते हैं।Digpal Singhhttps://www.blogger.com/profile/16696207012496861744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-21050776619827590982011-03-12T00:53:53.787-08:002011-03-12T00:53:53.787-08:00सही कहा दिगपाल, हाथ या पैर नहीं, बलात्कारियों का ...सही कहा दिगपाल, हाथ या पैर नहीं, बलात्कारियों का लिंग काट देना चाहिए. ताकि जिस चीज के गुरुर में वे ये अपराध करते हैं उसके न होने का दर्द और शर्म ताउम्र महसूस कर सकें. ठीक वैसे ही जैसे एक स्त्री के मन से वह घटना मिटाए नहीं मिट सकती. रही अरूणा की बात, तो उसके लिए इतना ही कहूंगी जीवन अनुभावों का नाम है, क्या पता उसके नसीब में एक अच्छा और सुखी जीवन हो... <br />जीवन नहीं मरा करता है.अनिताhttp://neeta-vashishta.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-70600103382351404112010-09-13T05:42:09.997-07:002010-09-13T05:42:09.997-07:00ऐसी कई मोहरियों की जरूरत है।ऐसी कई मोहरियों की जरूरत है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-10931857842303819892010-09-06T23:32:40.719-07:002010-09-06T23:32:40.719-07:00gud hey jee. keep it upgud hey jee. keep it upAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-57545347870515566012010-07-28T03:13:11.132-07:002010-07-28T03:13:11.132-07:00बहुत अच्छा लिखा है दिगपाल। सच में पढ़कर नई जानकारी...बहुत अच्छा लिखा है दिगपाल। सच में पढ़कर नई जानकारी तो मिली है साथ में मन भी तरोताजा हो गया। ऐसा लगा कि दिल्ली बैठे ही चकराता घूम आया।<br /><br />सुजीत कुमार<br />सीनियर सब एडिटर<br />लाइवहिन्दुस्तान डॉट कॉमAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-78838170332938466932010-04-22T07:33:45.203-07:002010-04-22T07:33:45.203-07:00दिग्पाल जी
आपने हंसी की खूब हंसी उड़ाई। मजा आ गया।...दिग्पाल जी<br />आपने हंसी की खूब हंसी उड़ाई। मजा आ गया। इस पर अशोक चक्रधर की कुछ लाइनों द्वारा टिप्पणी देना चाहूंगा।<br />हंसो तो बच्चों जैसी हंसी<br />हंसो तो सच्चों जैसी हंसी<br />इतना हंसो की तर जाओ<br />हंसो और मर जाओ।<br /><br />लगता है आपके शिकारों ने हंसो और मर जाओ को ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया है।<br />बढ़िया लिखा है। लिखते रहिए<br /><br />नितिन माथुरनितिन माथुरhttps://www.blogger.com/profile/11680881804001925736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-18770429755649481652010-04-08T02:09:38.119-07:002010-04-08T02:09:38.119-07:00वैले पन्ती की कहानियाँ है
ज्यादा दिमाग न लगाओं
कु...वैले पन्ती की कहानियाँ है<br />ज्यादा दिमाग न लगाओं <br />कुछ दिनों की परेशानियाँ है <br />खो जाने दो जो पशेमानियाँ है<br /><br />आशिकियों का दौर है<br />लैला मजनूँ से और<br />मजनूँ लैला से बोर है<br />शाम होते ही बदलना<br />वैले पन्ती की कहानियाँ है<br /><br />माल में घूमने जो मिल गया<br />ब्रांडीड कपडे़ पहने वो ग्रेट है<br />इकोनामिक न बने तो महान है<br />अग्रेंजी की टांग तोडे़ तो शान है<br />वैले पन्ती की कहानियाँ है<br /><br />दिमाग लगाते लगाते कुछ<br />न बना तो पास्से लग <br />टशन छोड़ काम पे लग<br />न पढ़ वैली कहानियाँ<br />वैले पन्ती की कहानियाँ है<br /><br />भूख,प्यास न लगना <br />कल की थी ये निशानियाँ<br />पिजा हट में पिजा खाना<br />आज की मेहरबानियाँ<br />वैले पन्ती की कहानियाँ हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-77885376971757245682010-04-05T08:10:00.824-07:002010-04-05T08:10:00.824-07:00आप कह तो सही रहे हैं कि हर किसी को अपनी मर्जी से ज...आप कह तो सही रहे हैं कि हर किसी को अपनी मर्जी से जीवन साथी चुनने का अधिकार हैं। लेकिन बंधु किसी को धोखा देकर दूसरे के साथ जीवन जीने के लिए चुनना कहां तक उचित है। आयशा के अलावा और भी कई लड़कियों ने शोएब के साथ अपनों रिश्तों का खुलासा किया है। आयशा का यह कहना कि मैने ही शोएब को सानिया से मिलवाया था। अब किस ने किस को धोखा दिया। यह न तो बहस का मुद्दा है और न ही आरोपित करने का मुद्दा। रही बात सानिया बनाम स्वंयवर की , तो मित्र यह मेरे नजरिए से स्वंयवर नहीं है। यह तो डाका है किसी की खुशियों पर । जो कहां तक सही है। किसी का इस हद तक गिर जाना और स्वार्थी हो जाना। कहां तक सही है।Democracy Monitor ( डेमोक्रेसी मॉनिटर ) https://www.blogger.com/profile/17065465017021897084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-12163733649724530742010-03-19T12:19:00.443-07:002010-03-19T12:19:00.443-07:00इस नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्व...इस नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-62371086945893313752010-03-18T00:17:33.587-07:002010-03-18T00:17:33.587-07:00अच्छा लिखा है। आपके लेख पर किए गए कमेंट कुछ ज्यादा...अच्छा लिखा है। आपके लेख पर किए गए कमेंट कुछ ज्यादा ही भावनात्मक हैं। मेरा मानना है कि हमें भावुक होकर किसी चीज के बारे में नहीं सोचना चाहिए। अगर हम अपने इतिहास में देखें तो पाएंगे की प्राचीन काल में देवी के इसी नग्न रूप की पूजा होती आई है। हड़प्पा सभ्यता में मातृदेवी की नग्न मूर्ति जिसकी योनि से पौधा निकलता दिखाया गया है कि पूजा होती थी। यक्ष और यक्षिणी की पूजा में यक्षिणी की शारीरिक ढांचे को प्रमुखता दी जाती है। आज भी शिव लिंग की पूजा जारी है। शाक्त धर्म की तरफ अगर हम गौर करें तो उसमें जीवित व मृत महिलाओं के शारीरिक अंगों की पूजा होती है। आज भी कई ऐसे मत हैं, जैसे शैव धर्म में पाशुपत और कालामुख जिसमें खुले रूप में यौन क्रिया को महत्ता दी जाती है। एमएफ हुसैन ने तो चित्रों में कुछ खुलापन दिखाया। ओशो ने तो सेक्स से समाधि तक की थ्योरी देकर ईश्वर का मार्ग दिखाया। उन्होंने एक तरह से उनमुक्त सेक्स को ईश्वर प्राप्ति के लिए सही बताया। हिंदू धर्म बहुत विशाल है, जिसमें कई तरह की चीजें शामिल हैं। कोई पेंटिंग हिंदू धर्म को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। यकीन न हो तो चले जाइए अजंता व एलोरा जहां उनमुक्त सेक्स को चित्रों में उकेरा गया है। यही नहीं कोणार्क मंदिर की भी कुछ ऐसी ही तस्वीर है। अभी इतना ही.......सुजीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/00057856884340331724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-44679435978254293262010-03-17T05:58:36.592-07:002010-03-17T05:58:36.592-07:00हुसैन साहब ने क्या किया। उसमें कितना सही है और कित...हुसैन साहब ने क्या किया। उसमें कितना सही है और कितना गलत। यह तो हुसैन साहब ही जानते होंगे। मेरा तो एक ही बात कहना है कि हुसैन साहब को दो गज जमीन भी न मिली कूवै यार में।नितिन माथुरhttps://www.blogger.com/profile/11680881804001925736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-31628050691914908252010-03-16T09:55:40.380-07:002010-03-16T09:55:40.380-07:00बेहतरीन, सटीक और क्रांतिकारी तरीके से भाव व्यक्त क...बेहतरीन, सटीक और क्रांतिकारी तरीके से भाव व्यक्त करके आपने सचमुच हुसैन साहब की सच्ची तस्वीर को नंगा किया है. यहाँ मेरा आक्रोश केवल इसलिए नहीं है की हुसैन साहब की कलाकृति हिन्दू थी या उन्होंने इस्लामिक आर्ट को अपने नंगे फेन से क्यों नहीं नवाज़ा. मेरा गुस्सा उस पिच्चानवे साल के रंगीले बुड्ढे के खिलाफ है जो अपनी पोती की उम्र से भी छोटी महिलाओ के जिस्म अपने केनवास पर उतारने को अपनी महानता बताता है. मेरे विचार से दुनिया के हर मज़हब के भगवान् बेहद खूबसूरत हैं. इस्लाम में फ़रिश्ते का भेजा एक पत्थर भी बेहद इज्ज़त और मुहब्बत से इबादत के लिए मोजूद है तो सिर्फ जिस्मानी खूबसूरती को पेंट करना कहाँ की समझदारी है? मेरी दुआ है की परवरदिगार, हुसैन साहब को मरने से पहले कुछ शर्मो हया अता फरमाएं जिस से उन्हें खूबसूरती के और भी नज़ारे दिखाई दें. वैसे कलम में ताक़त भी है और अंदाज़ करने का हुनर भी काबिल-ए-तारीफ़ है. मेरी तमाम दुआएं आपके साथ हैं. जय हिंदAmit Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06861748377828470250noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-65746945977800097142010-03-10T06:05:56.866-08:002010-03-10T06:05:56.866-08:00God Bless both of you !!
sach kaha hai aapne, isse...God Bless both of you !!<br />sach kaha hai aapne, isse meetha aur kuch bhi nahi.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-69086806514583249792010-03-03T22:03:53.863-08:002010-03-03T22:03:53.863-08:00भाई अगर यह इशारा मेरी ओर है तो बताओ आपका इशारा किस...भाई अगर यह इशारा मेरी ओर है तो बताओ आपका इशारा किस पोस्ट या कमेंटस की तरफ है,या फिर मुझ से पूछो होली के दिन किस पोस्ट से मुझे अच्छा नहीं लगा, सोमवार को मैंने कोई पोस्ट पब्लिश नहीं की थी, रविवार में जो पोस्ट की थी, उस पर ब्लागर भाइयों को सबसे अधिक प्यार मिला था, <br />http://umarkairanvi.blogspot.com/2010/02/jihad-book-writer-swami.html<br /><br />बहरहाल आपने अपने विचारों को सम्मान के साथ बहुत अच्छा लिखा आपको झेलने की आदत डालने में कोई बुराई नहींMohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-27194921282555121982010-03-03T21:19:31.528-08:002010-03-03T21:19:31.528-08:00बात मजहब की नहीं है, बात है हमारी धूर्तता की। जैसे...बात मजहब की नहीं है, बात है हमारी धूर्तता की। जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं और भी धूर्त होते जाते हैं। हो सकता है बचपन में मोहम्मद उमर के पिता ने भी होली खेली हो और मां भी होली के रंगों में रंगी हो। लेकिन जैसे जैसे वे समझदार होते गए, दुनिया ने उनकी जिन्दगी से होली के रंग छीन लिए और मजहब के रंगों में रंग दिया। kya bat he yaar. ye line batati hain ki aapki soch waqai prodh hai.<br /><br /><br />http://www.flickr.com/photos/aneetavashishta/ http://neeta-vashishta.blogspot.com/अनिता शर्मा (Anita Sharma)https://www.blogger.com/profile/16644730124179484455noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-9543519657710573582010-03-03T04:53:48.725-08:002010-03-03T04:53:48.725-08:00bahut badhiya !!!
ekdum sach kaha aapne, kaash k s...bahut badhiya !!!<br />ekdum sach kaha aapne, kaash k sabhi dil se bachhe hi rehte....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-74837769865657068582010-03-03T04:10:48.043-08:002010-03-03T04:10:48.043-08:00स्वागत है बलोग जगत में,अच्छा लगा आपका लेख ।स्वागत है बलोग जगत में,अच्छा लगा आपका लेख ।Vinashaay sharmahttps://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-39975853188609696482010-03-03T03:43:02.356-08:002010-03-03T03:43:02.356-08:00शिशु जब जन्म लेता है तो उसके साथ होती है उसकी सहज ...शिशु जब जन्म लेता है तो उसके साथ होती है उसकी सहज प्रवृति,उसकी मासूमियत...! हम अपनी अतृप्त महत्वाकांक्षाओ को पूरा करने के लिए अनजाने ही अपने विचार अपनी सोच अपने तर्कों के साथ उस पर थोपते जाते है...बालक शनै-शनै यह सब स्वीकारता जाता है ...उसका स्व उसकी सहज प्रवृतिया...उसकी मासूमियत उससे छूटती जाती है,जैसे-जैसे बालक बड़ा होता जाता है...विजातीय सोच-विचार जो उसके अपने नहीं है,के कारण उसकी मुस्कान में,आँखों में चहरे की भाव-भंगिमा में परिवर्तन आने लगता है <br /><br />उसके अपने स्व की मूल प्रवृतियों का विलोपन होते-होते उसके व्यवहार में...व्यक्तित्व में सहजता के स्थान पर कृत्रिमता का प्रवेश होता जाता है ! <br />यदि हम बालक को उसकी सहजता और मासूमियत के साथ बड़ा होने दे जो उसमे जन्मतः विद्यमान है तो बदले में हमें प्राप्त होगा...एक सुन्दर और समस्याओं से रहित भारत....!!!सुभाष पंचालhttps://www.blogger.com/profile/08355009078260445702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-36606816536856503722010-03-03T00:18:48.885-08:002010-03-03T00:18:48.885-08:00हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई......हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई......डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9138673507845332806.post-63769767566544819252010-03-02T23:55:34.319-08:002010-03-02T23:55:34.319-08:00एक शे'र है- जब से बस्तियों में लोग हिंदू मुस...एक शे'र है- जब से बस्तियों में लोग हिंदू मुसलमां हो गये, तब से मुश्किल दीदार-ए-इंसान हो गये। बच्चों का मन धर्म और मजहब की कड़ी रिवायतों से दूर होता है,लेकिन बढ़ती उम्र उसे इंसान से पहले हिंदू या मुसलमान बना देती है और इसी के साथ खत्म हो जाती है इंसानियत।भारत मल्होत्राnoreply@blogger.com