Monday, April 5, 2010
दुनिया की आखिरी लड़की का स्वयंवर - सानिया के बहाने
सोहराब मिर्जा से सानिया की शादी टूटी तो हमने भी तैश में आकर 'दीवानों की मौजां ही मौजां' नाम से एक ब्लॉग लिख डाला था। लेकिन पिछले कुछ दिनों से जैसे सानिया सुर्खियों में छाई हुई है, भई उसने तो मुझे व्यक्तिगत तौर पर बड़ा हैरान किया है। पहली बात तो मैं सभी दीवानों को यह बता देना चाहता हूं कि भई सानिया की निजी जिन्दगी भी है और अपनी जिन्दगी का फैसला लेने का उसे पूरा हक है। फिर चाहे वह शोएब मलिक से शादी करे या सोमालियाई डाकूओं से, उससे हमारी जिन्दगी पर भला क्या असर पड़ सकता है।
असली मुद्दे पर आऊं तो मैं एक बार फिर अपनी हैडिंग की तरफ आ रहा हूं। जिस तरह से सानिया और शोएब की शादी को लेकर हो हल्ला मचा हुआ है और देशभर में सानिया के फैसले से नाराजगी जताई जा रही है, उससे तो ऐसा लग रहा है जैसे सानिया दुनिया की आखिरी लड़की हो और उसने भी परीस्तान का कोई शहजादा चुन लिया हो और अब धरती लड़की विहीन हो गई हो। वैसे एक बात यह भी है कि अभी तक स्वयंवर सीरीज के तीसरे सीजन के लिए सिर्फ कयास ही लगाए जा रहे हैं, अगर तीसरे सीजन के बारे में सोचा जाए तो शोएब को प्रमुख दूल्हा मानते हुए राखी के स्वयंवर की तरह सानिया का स्वयंवर रचा जा सकता है। इस बार इसका नाम 'सानिया का स्वयंवर- दुनिया की आखिरी लड़की के लिए जंग' रखा जा सकता है। यह तो रही संभावना की बात, आगे सानिया के बहाने एक बेहद संजीदा मामला जो मेरे जहन में उठ रहा है उसे उघाड़े बिना न तो मुझे ही नींद आएगी और न ही आप इस ब्लॉग को पूरा मान पाएंगे।
सानिया के बहाने मुझे देश में गिरते सेक्स रेशियो (लिंग अनुपात) ने बेहद चिंतित कर दिया है। देश में हर 10 साल बाद जनगणना होती है और हर बार महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में कम होती जाती है। भई मैं तो उस दिन के बारे में सोच रहा हूं, जिस दिन प्रति हजार पुरुषों पर सिर्फ एक महिला रह जाएगी और जरा सोचिए कि वह स्थिति कैसी होगी जब पूरे देश में सिर्फ एक ही लड़की रह जाए। सच मानिए अगर ऐसा हो गया तो उसके लिए तलवारें खींचने वालों में मैं सबसे पहले होऊंगा। वैसे मैं ऐसा नहीं करुंगा क्योंकि मैं थोड़ा सा सौभाग्यशाली हूं क्योंकि सिर्फ दो माह बाद मेरी शादी है और वो दुनिया में अकेली लड़की नहीं है, जिसके लिए मुझे जंग लड़नी पड़े। सोचिए कि एक दिन ऐसा आ जाए, सानिया पूरे देश में इकलौती लड़की हो और वह भी एक पाकिस्तानी से शादी की बात कर रही हो, तो यकीन मानिए दोस्तो मैं, आप और हम सब शोएब के सामने ठीक उसी तरह खड़े हो जाते जैसे मुगलों के सामने महाराणा प्रताप या शिवाजी खड़े हुए थे। भले ही फिर हश्र जो होता लेकिन जब तक शरीर में खून का एक भी कतरा बचता सानिया के साए पर तक भी उसे नहीं पहुंचने देते। लेकिन दोस्तो अभी वह स्थिति नहीं आई है, इसलिए सानिया को अपनी मर्जी से शादी करने दो। इससे दुनिया में हमारे भद्र पुरुष होने का भी संदेश जाएगा। फिर भी आपको अगर अपनी भद्रता की कोई कद्र नहीं है तो लगे रहो, सानिया हाय हाय - हाय हाय - हाय हाय। वैसे दिल की बात बताऊं तो मैं भी ऐसे मामले में भद्र पुरुष नहीं कहलाना चाहता।
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आप कह तो सही रहे हैं कि हर किसी को अपनी मर्जी से जीवन साथी चुनने का अधिकार हैं। लेकिन बंधु किसी को धोखा देकर दूसरे के साथ जीवन जीने के लिए चुनना कहां तक उचित है। आयशा के अलावा और भी कई लड़कियों ने शोएब के साथ अपनों रिश्तों का खुलासा किया है। आयशा का यह कहना कि मैने ही शोएब को सानिया से मिलवाया था। अब किस ने किस को धोखा दिया। यह न तो बहस का मुद्दा है और न ही आरोपित करने का मुद्दा। रही बात सानिया बनाम स्वंयवर की , तो मित्र यह मेरे नजरिए से स्वंयवर नहीं है। यह तो डाका है किसी की खुशियों पर । जो कहां तक सही है। किसी का इस हद तक गिर जाना और स्वार्थी हो जाना। कहां तक सही है।
ReplyDeleteवैले पन्ती की कहानियाँ है
ReplyDeleteज्यादा दिमाग न लगाओं
कुछ दिनों की परेशानियाँ है
खो जाने दो जो पशेमानियाँ है
आशिकियों का दौर है
लैला मजनूँ से और
मजनूँ लैला से बोर है
शाम होते ही बदलना
वैले पन्ती की कहानियाँ है
माल में घूमने जो मिल गया
ब्रांडीड कपडे़ पहने वो ग्रेट है
इकोनामिक न बने तो महान है
अग्रेंजी की टांग तोडे़ तो शान है
वैले पन्ती की कहानियाँ है
दिमाग लगाते लगाते कुछ
न बना तो पास्से लग
टशन छोड़ काम पे लग
न पढ़ वैली कहानियाँ
वैले पन्ती की कहानियाँ है
भूख,प्यास न लगना
कल की थी ये निशानियाँ
पिजा हट में पिजा खाना
आज की मेहरबानियाँ
वैले पन्ती की कहानियाँ है