Monday, January 11, 2016

तुझे जन्नत की सैर जरूर करा दूंगा

तूने मेरे हिस्से के सूरज को छीन लेने की ठानी है,
जा तुझे माफ किया ऐसी हरकतें तो तेरी रोज की कहानी है।

दिन तो तू मुझसे छीन सकता है,
लेकिन मेरी हाथ की लकीरों का क्या बिगाड़ लेगा
जा कर ले जो कर सकता है,
मेरा खुदा है जो मेरे लिए रात में भी सूरज जुगाड़ लेगा।

तू यूं ही साजिशें रचता रह जाएगा
मैं यूं ही तेरी साजिशों का मोहरा बनता रहूंगा
तू यूं ही अपनी जगह बचाता रह जाएगा
एक दिन मैं तुझे नेस्त नाबूत कर दूंगा
मेरी किस्मत में हो न हो,
तुझे जन्नत की सैर जरूर करा दूंगा।

Monday, January 4, 2016

तेरी रहमतों की दरकार नहीं मुझे

तेरी रहमतों की दरकार नहीं मुझे,
मैं भी अच्छी तरह जानता हूं तुझे।
न जाने तुझमें ये अभिमान कहां से आ गया,
और तुझे लगता है कि तू भगवान हो गया।

तेरी बनाई हर एक फांस से निकल आऊंगा,
तू लाख कोशिशें कर ले, तेरी शरण न आऊंगा।
तेरी जिंदगी का मकसद भले ही हो मुझे बर्बाद करना,
मुझे तो बस मेरे अराध्य के चरणों में ही है मरना।

एक दिन तेरे हर एक जुल्म का हिसाब होगा,
अंग-अंग से तेरे खून-पीप का रिसाव होगा।
मैं तब भी कहूंगा अपने खुदा से,
इस निर्लज को माफ कर दो, मेरी बला से।

मैं खुश हूं

मैं खुश हूं इस जिंदगी से
तू दुखों का सागर है,
जीता हूं मैं जिंदादिली से
तू गमों से भरी गागर है।

Sunday, January 3, 2016

रात के ये लम्हे

रात के ये लम्हे कितने खूबसूरत होते हैं,
कितनी शांति ये खुद में समेटे होते हैं।
इन लम्हों में कुछ तो खास बात है,
जिन्हें आप चाहो, सिर्फ उन्हीं का साथ है।

शांत और स्थायी रात के ये लम्हे छलनी की तरह,
सारी बुराईयों और दुष्वारियों को छान लेते हैं।
इनके एक-एक कतरे में जीवन के लुत्फ भरे होते हैं
तभी तो इन लम्हों के रिश्ते भी काफी गहरे होते हैं।

रात के ये लम्हे कितने खूबसूरत होते हैं,
दिन के उजाले में जो छिपा लेते हैं चेहरे के भाव
रात होते ही उनके असली चेहरे सामने होते हैं
नकाब उतार ये लम्हे, असली चेहरे सामने रख देते हैं।
(C) दिगपाल सिंह

हार न मानने वाले तेवर

तेवर तो अब भी वैसे ही तल्ख हैं हमारे
कुछ आराम के मूड में हैं, नहीं हैं हारे
दुश्मन को भी सांस लेने का मौका देते हैं
इसलिए कुछ देर युद्ध विराम कर लेते हैं।

अंगारे आज भी वैसे ही दहक रहे हैं,
हाथ लगाकर देख लो, गर्म राख गवाह है
गर्मी जवानी की नहीं, ये हमारी फितरत है
अभी कुछ आराम, फिर समझो दुश्मन की आफत है।
(C) दिगपाल सिंह