Thursday, July 30, 2020

बिखरा नहीं हूं, बस थोड़ा सा टूटा हूं...

बिखरा नहीं हूं,
बस थोड़ा सा टूटा हूं।
किसी ने रौंदा नहीं,
बस थोड़ा पीछे छूटा हूं।

फिर उड़ान भरुंगा,
फिर आसमान छुऊंगा।
पतंग की डोर थोड़े ही हूं
जो कटकर गिर जाऊंगा।

नई हमारी परवाज होगी,
मंजिलों से आवाज होगी।
तुम्हारा ही तो इंतजार था,
जीत वो लाजवाब होगी।

हम बिखरें भी तो,
जश्न-ए-बहारा होता है
बीज बनकर गिरते हैं और...
गुलशन का नजारा होता है।

तुम क्या तोड़ोगे हमें,
हम खुद ही टूट जाते हैं।
प्यार से कोई गले लगा ले बस
हमेशा के लिए उसके हो जाते हैं।