दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नंबर एक की कुर्सी बचाने के लिए पहले से तय शैड्यूल में जबरदस्ती घुसाए गए दो टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट में धोनी के धुरंधर फेल हो गए। खैर कोई बात नहीं, कहा जाता है न कि गिरते हैं सहसवार ही मैदान-ए-जंग में। वैसे भी धोनी की कप्तानी में यह पहली टेस्ट हार है। इससे पहले 8 टेस्ट में जीत भी हुई है, जबकि 3 टेस्ट ड्रा भी रहे। धोनी का कहना है कि हार-जीत मायने नहीं रखती, मायने रखता है कि आप कैसा खेले। मैं धोनी के इस अंदाज से बिल्कुल सहमत हूं, वैसे भी हर टीम को कभी न कभी तो हार झेलनी ही पड़ती है। स्टीव वॉ की विश्वविजयी टीम भी भारत को फॉलोऑन खिलाने के बाद टेस्ट और सीरीज हार गई थी। असल में मैं जो मुद्दा उठाना चाहता हूं वह है भारतीय चयनकर्ताओं की हो रही बार बार हार का। मैं तो यह जानना चाहता हूं कि चयनकर्ता किसी खास खिलाड़ी को खास जगह देने व किसी की तरफ बिल्कुल न देखने पर क्यों अड़िग हैं।
मुरली विजय, रिद्दिमान शाह, एस बद्रीनाथ, रोहित शर्मा और ऐसे ही कई नाम आ जाएंगे, अगर गिनाने बैठे तो। पहले टेस्ट में द्रविड व लक्ष्मण की कमी साफ खली, या यूं कहें कि उनके जैसे विकेट पर टिकने वाले बल्लेबाज की कमी सिद्धत से महसूस की गई। अब मैं डॉमेस्टिक क्रिकेट के एक ऐसे खिलाड़ी की बात करना चाह रहा हूं, जो पिछले कुछ सालों से द्रविड़ व लक्ष्मण से बेहतर नहीं तो उनकी शैली में विकेट पर टिकने की क्षमता दिखा रहा है। इस खिलाड़ी का नाम है चेतेश्वर अरविंद पुजारा। सौराष्ट्र के इस खिलाड़ी ने 2008 के सीजन में अंडर 22 में खेलते हुए 2 ट्रिपल सेंचुरी बनाई।
इसके बाद उसन 2008-09 के सीजन में उड़ीसा के खिलाफ रणजी ट्राफी में एक और तीसरा शतक लगाकर विकेट पर टिकने की अपनी क्षमता का जबरदस्त प्रदर्शन किया।
कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही देखे जाते हैं। ऐसा ही कुछ चेतेश्वर पुजारा ने अंडर 14 में बडौदा के खिलाफ ट्रिपल सेंचुरी मारी, इसके बाद अंडर 19 में इंग्लैंड के खिलाफ 211 रन ठोक डाले। पुजारा ने सौराष्ट्र की तरफ से अपने दूसरे ही मैच में 145 रन ठोककर बताया कि वे सिर्फ 100 रन बनाकर खुश होने वालों में से नहीं हैं। अंडर 19 वर्ल्ड कप में 1 शतक व 1 अर्द्धशतक के साथ पुजारा ने 116 की औसत निकालकर सर्वाधिक 349 रन बनाए।
अब मैं चेतेश्वर के बारे में कुछ ज्यादा लिखुंगा तो लगेगा कि उसके लिए जबरदस्त पैरवी कर रहा हूं। वैसे बता दूं कि मैं उसका कोई रिश्तेदार नहीं हूं, मैं तो ये जानता हूं कि भारतीय टीम को द्रविड़ का रिप्लेसमेंट चाहिए और वह पुजारा के रूप में मिल सकता है। वैसे वनडे व ट्वेंटी20 में भी उसका रिकॉर्ड किसी भी युवा बल्लेबाज से बेहतर है। उसके रिकॉर्ड्स देख लीजिए आप खुद ही समझ जाएंगे कि आखिर मैंने उसके बारे में यह ब्लॉग क्यों लिख मारा।
फर्स्ट क्लास करियर (2005/06-2009/10)
मैच/ इनिंग/ नॉट आउट/ रन/ सर्वोत्तम/ औसत/ शतक/ अर्द्धशतक/ स्ट्राइक रेट/ कैच/ स्टंप
कुल मैच 46/ 74/ 11 /3603/ 302*/57.19/ 13/ 12/ 58.27/ 20/ 1
इसमें चेतेश्वर में गेंदबाजी करते हुए 5 विकेट भी लिए हैं।
वनडे कैरियर (2005/06-2008/09)
मैच/ इनिंग/ नॉट आउट/ रन/ सर्वोत्तम/ औसत/ शतक/ अर्द्धशतक/ स्ट्राइक रेट/ कैच/ स्टंप
कुल मैच 29/ 29/ 6/ 1063/ 109*/ 46.21/ 2/ 8/ 77.64/ 109/ 8
ट्वेंटी20 कैरियर बल्लेबाजी (2006/07)
मैच/ इनिंग/ नॉट आउट/ रन/ सर्वोत्तम/ औसत/ शतक/ अर्द्धशतक/ स्ट्राइक रेट/ कैच
कुल मैच 4/ 4/ 1/ 110/ 43*/ 36.66/ 0/ 171.87/ 0/ 2
युवा टेस्ट कैरियर (2004/05-2006/07)
मैच/ इनिंग/ नॉट आउट/ रन/ सर्वोत्तम/ औसत/ शतक/ अर्द्धशतक/ कैच
अंडर 19- 3/ 4/ 0/ 314/ 211/ 78.50/ 1/ 1/ 3
इस दौरान पुजारा ने 9 विकेट भी अपनी झोली में डाले हैं।
युवा वनडे अंरराष्ट्रीय कैरियर (2005/06-2006/07)
मैच/ इनिंग/ नॉट आउट/ रन/ सर्वोत्तम/ औसत/ शतक/ अर्द्धशतक/ स्ट्राइक रेट/ कैच
इंडिया अंडर 19- 14/ 14/ 6/ 614/ 129*/ 76.75/ 1/ 5/ 75.15/ 4
अब आप खुद ही फैसला कीजिए कि क्या चेतेश्वर पुजारा को अब भी कुछ साल इंतजार करना चाहिए या चयनकर्ताओं को जगाने के लिए कुछ किया जाना चाहिए।
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