जी हां दोस्तों! आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं। यहां मैं उसी मिसाइल की बात कर रहा हूं जिसका आविष्कार एक इराकी पत्रकार मुंतजिर अल जैदी ने किया और पहली बार उस समय के दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्रपति कहे जाने वाले जार्ज डब्ल्यू बुश पर इस मिसाइल को दागा था। इसके बाद तो यह मिसाइल इतनी कुख्यात हो गई कि दुनियाभर में इसका डंका बज गया। भारत में ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री पी चिदंबरम, पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से लेकर कई छोटे-बड़े नेता व अन्य लोग इसके शिकार हुए।

ताजा वाकिया जम्मू एंव कश्मीर का, जहां स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सूबे के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर यह मिसाइल दागी गई। उमर राष्ट्रध्वज के सम्मान में खड़े थे तभी उन्हीं के एक मातहत पुलिसकर्मी ने उन पर यह मिसाइल दाग दी। गनीमत यह थी कि इस बार भी मिसाइल निशाने से चूक गई। इसके बाद कई तरह की बातें कही जाने लगी, पुलिसकर्मी को बर्खाश्त भी कर दिया गया। सबसे अलग बयान दिया उमर के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्लाह ने। उन्होंने कहा कि अब मेरा बेटा जार्ज बुश, पी चिदंबरम, मनमोहन सिंह, आसिफ अली जरदारी, वेन जियाबाओ जैसे लोगों की श्रेणी में आ गया है। पिता को गर्व हो भी क्यों न, यह क्लब है भी तो खास 'जूता खाओ क्लब।'
हाल ही में पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी पर इस मिसाइल को दागा गया, लेकिन इस बार भी यह मिसाइल अपने लक्ष्य को नहीं भेद पाई। मिसाइल का शिकार हमारे दूसरे पड़ोसी कम्युनिस्ट मुल्क चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ भी बने। दो फरवरी, 2009 को इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भाषण के दौरान जियाबाओ को रोकते हुए एक व्यक्ति उठा और उन पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए एक मिसाइल दाग दी, एक बार फिर मिसाइल निशाने से चूक गई और जियाबाओ से कुछ दूरी पर जा गिरी। मजेदार बात तो यह है कि इस मिसाइल के निर्माता मुंतजिर अल जैदी खुद भी इस मिसाइल के शिकार बन चुके हैं।

इस मिसाइल ने पाकिस्तान में भी खूब गुल खिलाए। कराची के एक छात्र ने आठ अक्टूबर, 2009 को एक समारोह के दौरान अमेरिकी पत्रकार क्लिफोर्ड डी मे पर मिसाइल आजमाई। क्लिफोर्ड रिपब्लिकन हैं और जॉर्ज बुश प्रशासन के कार्यकाल के दौरान पार्टी के सक्रिय सदस्य समझे जाते थे। इस बार भी मिसाइल रास्ता भटक गई।
तुर्की के शहर इस्तानबुल में 30 सितंबर, 2009 को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के प्रमुख डोमनिक स्त्रास काह पर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के एक छात्र ने यह मिसाइल आजमाई। मिसाइल फिर रास्ता भटक गई और डोमनिक से करीब एक मीटर की दूर जा गिरी।
भारत में एक बार ऐसे तो यह मिसाइल अपने निशाने से चूक गई, लेकिन इसकी गंभीर चोट किसी दूसरे पर असर दिखाने में कामयाबी रही। गृहमंत्री चिदंबरम पर जैसे ही यह मिसाइल दागी गई उसके कुछ दिन बाद टाइटलर को लोकसभा के लिए चुनावी टिकट गंवानी पड़ गई। अपने प्रधानमंत्री कैप्टन कूल (मनमोहन सिंह) पर भी गुजरात के अहमदाबाद में 26 अप्रैल, 2009 को एक चुनावी रैली यह मिसाइल दागी गई।
अपने पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी पर तो दूसरे दर्जे की मिसाइल दागी गई, लेकिन वह भी अपने लक्ष्य से भटक गई। आडवाणी पर 16 अप्रैल, 2009 को पार्टी के ही एक कार्यकर्ता ने चप्पल मिसाइल फेंकी जो निशाने पर नहीं लगी।
बेटे को नौकरी नहीं मिली, इसलिए एक शिक्षक ने हरियाणा में स्थानीय सांसद नवीन जिंदल पर मिसाइल दागी। इस मामले में सबसे ज्यादा स्याण पंथी दिखाई अपने मोदी भाऊ नरेन्द्र मोदी ने। उन्होंने एंटी मिसाइल प्रणाली विकसित की और महाराष्ट्र के धुले में लोकसभा प्रचार के दौरान मंच के सामने एक वॉलीबॉल नेट बंधवा दिया। मिसाइल ने कई शिकार किए हैं। भले ही वह निशाने पर एक ही बार लगी हो, लेकिन उसकी गूंज जार्ज बुश से लेकर जगदीश टाइटलर तक हर कोई महसूस करते हैं।
जय हो जूता मिसाइल, अब देखते हैं अगला निशाना कौन बनता है और इस बार मिसाइल सटीक निशाना लगा पाती है कि नहीं।
gud hey jee. keep it up
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