इस मोहरी के एक ओर रहता है अपने धर्म को अपनी जान समझने वाला एक मुस्लिम परिवार और दूसरी ओर पूजा पाठ में रमा रहने वाला हिन्दू परिवार। ये एक मोहरी इन दोनों परिवारों को ठीक वैसे ही जोड़ती है जैसे आप और मैं। हर छोटी बड़ी खुशी और दुख में दोनों परिवार एक दूसरे का पूरा साथ देते हैं। इन दोनों परिवारों को एक दूसरे से बात करने के लिए घर से बाहर या एक दूसरे के घर नहीं जाना पड़ता। यह दोनों परिवार अपने कमरों में ही रहकर एक दूसरे से बड़े ही आराम से मोहरी के आर पार खड़े होकर बात करते हैं। जब भी किसी एक के घर में किसी चीज की कमी होती है तो रात-बिरात दूसरे से बात करने में कोई हिचक नहीं होती। कभी कभी तो दोनों परिवारों को देखकर लगता ही नहीं कि ये दोनों अलग अलग समुदायों से हैं।
Saturday, September 11, 2010
इस एक मोहरी के सजदे धर्म व कट्टरता
ईद का मौका था, और एक बार फिर मैं अपने एक परिचित के घर पर सेवईंया खाने पहुंच गया। आपको शायद याद हो, होली के मौके पर मैंने मोहम्मद उमर के होली खेलने के वाकए का आपसे जिक्र किया था। उस समय जैसा ही अनुभव मोहम्मद उमर को होली खेलते हुए देखकर हुआ था वही मैं हर बार ईद पर सेवईंया का लुत्फ लेते हुए भी करता हूं। लेकिन इस बार मैं आपसे एक खास बात का जिक्र करना चाहता हूं। एक मोहरी ने मेरा ध्यान पिछले काफी समय से अपनी ओर खींचा हुआ था। सोचा इस बार उस मोहरी का जिक्र आप लोगों से कर ही लिया जाए। अरे सॉरी दोस्तो, शायद आप में से कुछ लोग मोहरी का मतलब न समझ पाए हों। असल में पहाड़ी (कुमाउंनी भाषा) में खिड़की को मोहरी कहा जाता है। एक छोटी सी मोहरी का जिक्र आपसे इस प्लेटफॉर्म पर क्यों? अगर आप भी यही सोच रहे हैं तो उसका जवाब तो ऊपर हैडिंग में ही है। क्योंकि इस एक मोहरी के सजदे धर्म और कट्टरता जाए। यह मोहरी हमारे समाज की उस छोटी और संकीर्ण मानसिकता को मुंह चिढ़ाती है, जो दो समुदायों में आपसी वैमन्स्यता फैलाती है।

इस मोहरी के एक ओर रहता है अपने धर्म को अपनी जान समझने वाला एक मुस्लिम परिवार और दूसरी ओर पूजा पाठ में रमा रहने वाला हिन्दू परिवार। ये एक मोहरी इन दोनों परिवारों को ठीक वैसे ही जोड़ती है जैसे आप और मैं। हर छोटी बड़ी खुशी और दुख में दोनों परिवार एक दूसरे का पूरा साथ देते हैं। इन दोनों परिवारों को एक दूसरे से बात करने के लिए घर से बाहर या एक दूसरे के घर नहीं जाना पड़ता। यह दोनों परिवार अपने कमरों में ही रहकर एक दूसरे से बड़े ही आराम से मोहरी के आर पार खड़े होकर बात करते हैं। जब भी किसी एक के घर में किसी चीज की कमी होती है तो रात-बिरात दूसरे से बात करने में कोई हिचक नहीं होती। कभी कभी तो दोनों परिवारों को देखकर लगता ही नहीं कि ये दोनों अलग अलग समुदायों से हैं।
दोनों परिवार एक दूसरे के त्योहारों और घर के कार्यक्रमों में पूरे मन से शामिल होते हैं। इन दोनों परिवारों को देखकर लगता ही नहीं कि दोनों अलग अलग समुदायों से हैं। यह मोहरी ऐसे ही लगती है जैसे धर्म के ठेकेदार ऊंची ऊंची दीवारें चिनवाने पर आमादा हैं और ये दोनों परिवार उन दीवारों के बीच खिड़कियां निकालकर प्यार और सिर्फ प्यार की बयार बहाना चाहते हैं। इनकी इस मोहरी के मैं सजदे जाऊं और इनके बीच के इस प्यार और भाईचारे को किसी की नजर न लगे।
इस मोहरी के एक ओर रहता है अपने धर्म को अपनी जान समझने वाला एक मुस्लिम परिवार और दूसरी ओर पूजा पाठ में रमा रहने वाला हिन्दू परिवार। ये एक मोहरी इन दोनों परिवारों को ठीक वैसे ही जोड़ती है जैसे आप और मैं। हर छोटी बड़ी खुशी और दुख में दोनों परिवार एक दूसरे का पूरा साथ देते हैं। इन दोनों परिवारों को एक दूसरे से बात करने के लिए घर से बाहर या एक दूसरे के घर नहीं जाना पड़ता। यह दोनों परिवार अपने कमरों में ही रहकर एक दूसरे से बड़े ही आराम से मोहरी के आर पार खड़े होकर बात करते हैं। जब भी किसी एक के घर में किसी चीज की कमी होती है तो रात-बिरात दूसरे से बात करने में कोई हिचक नहीं होती। कभी कभी तो दोनों परिवारों को देखकर लगता ही नहीं कि ये दोनों अलग अलग समुदायों से हैं।
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ऐसी कई मोहरियों की जरूरत है।
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