Monday, January 11, 2016

तुझे जन्नत की सैर जरूर करा दूंगा

तूने मेरे हिस्से के सूरज को छीन लेने की ठानी है,
जा तुझे माफ किया ऐसी हरकतें तो तेरी रोज की कहानी है।

दिन तो तू मुझसे छीन सकता है,
लेकिन मेरी हाथ की लकीरों का क्या बिगाड़ लेगा
जा कर ले जो कर सकता है,
मेरा खुदा है जो मेरे लिए रात में भी सूरज जुगाड़ लेगा।

तू यूं ही साजिशें रचता रह जाएगा
मैं यूं ही तेरी साजिशों का मोहरा बनता रहूंगा
तू यूं ही अपनी जगह बचाता रह जाएगा
एक दिन मैं तुझे नेस्त नाबूत कर दूंगा
मेरी किस्मत में हो न हो,
तुझे जन्नत की सैर जरूर करा दूंगा।

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