ये कौन है जो पत्थर फेंक रहा है,
इंसानियत को लहूलुहान कर रहा है।
ये कौन है जो आग लगा रहा है।
दुकानों ही नहीं भाईचारे को भी जला रहा है।
क्यों सड़कों पर बिखरा कबाड है,
क्यों दंगों से जिंदगी यूं बेजार है।
घर लौट जा तुझे भी कहता हूं मैं,
ये राह और उसके आगे मोड़ बेकार है।
कौन सा खुदा है जो पत्थर फेंकने को इबादत कहता है,
कौन वो भगवान है जो आगजनी पर खुश होता है।
कुछ लोगों के बहकावे पर भड़क जाती हैं भावनाएं तेरी,
'जीना' नहीं चाहता क्या, बहुत कीमती है जिंदगी तेरी-मेरी।
यूं न कर इंसानियत को शर्मसार,
चल फिर गले मिलते हैं मेरे यार।
तू ईद पर मुझे सेवईंया खिला
मैं होली पर रंग के तुझपर बरसाऊं प्यार।
@दिगपाल सिंह जीना
इंसानियत को लहूलुहान कर रहा है।
ये कौन है जो आग लगा रहा है।
दुकानों ही नहीं भाईचारे को भी जला रहा है।
क्यों सड़कों पर बिखरा कबाड है,
क्यों दंगों से जिंदगी यूं बेजार है।
घर लौट जा तुझे भी कहता हूं मैं,
ये राह और उसके आगे मोड़ बेकार है।
कौन सा खुदा है जो पत्थर फेंकने को इबादत कहता है,
कौन वो भगवान है जो आगजनी पर खुश होता है।
कुछ लोगों के बहकावे पर भड़क जाती हैं भावनाएं तेरी,
'जीना' नहीं चाहता क्या, बहुत कीमती है जिंदगी तेरी-मेरी।
यूं न कर इंसानियत को शर्मसार,
चल फिर गले मिलते हैं मेरे यार।
तू ईद पर मुझे सेवईंया खिला
मैं होली पर रंग के तुझपर बरसाऊं प्यार।
@दिगपाल सिंह जीना