आज वो बड़ी खुश है
या बड़ी ही व्याकुल
आंगन तक आ गई मेरी
कह रही है चल बाहर निकल।
सड़क वीरान है
चिड़िया वो नादान है
चिल्ला चिल्ला कर कह रही
चल लौंग ड्राइव पर चलें।
अधीर है बेचारी
समझ नहीं पा रही
मैं घर में क्यों पड़ा हूं
बाहर आने की जिद कर रही
अकेली नहीं
दूसरे साथियों को भी लाई है
सब आज कलरव करते हैं
जैसे मेरी गुलाम मजबूरी पर हंसते हैं।
या अपनी आजादी का जश्न मना रहे
मेरे जख्मों को कुरेद रहे
मै कैद हुआ तो हवा भी बावली हो गई
आंधी बनकर मुझे चिढ़ाने अंदर तक आ गई।
बस कर तू भी बावली ना हो जाना
ये नफरत नहीं तेरा, प्यार है चिड़िया
बिछड़कर मैं भी रोया हूं कभी बहुत
अब तू 'जीना' मत छोड़ देना चिड़िया।
(c) दिगपाल सिंह
या बड़ी ही व्याकुल
आंगन तक आ गई मेरी
कह रही है चल बाहर निकल।
सड़क वीरान है
चिड़िया वो नादान है
चिल्ला चिल्ला कर कह रही
चल लौंग ड्राइव पर चलें।
अधीर है बेचारी
समझ नहीं पा रही
मैं घर में क्यों पड़ा हूं
बाहर आने की जिद कर रही
अकेली नहीं
दूसरे साथियों को भी लाई है
सब आज कलरव करते हैं
जैसे मेरी गुलाम मजबूरी पर हंसते हैं।
या अपनी आजादी का जश्न मना रहे
मेरे जख्मों को कुरेद रहे
मै कैद हुआ तो हवा भी बावली हो गई
आंधी बनकर मुझे चिढ़ाने अंदर तक आ गई।
बस कर तू भी बावली ना हो जाना
ये नफरत नहीं तेरा, प्यार है चिड़िया
बिछड़कर मैं भी रोया हूं कभी बहुत
अब तू 'जीना' मत छोड़ देना चिड़िया।
(c) दिगपाल सिंह
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