आज मेरी जिन्दगी में फिर एक लड़की है
न पूछो मुझे आज कितनी 'खुशी' है
'खुशी' का मेरे कोई ठिकाना नहीं
छुपाने का भी कोई बहाना नहीं।
जिन्दगी में एक नई रोशनी ने दस्तक दी है,
बसन्त में मेरे जीवन में एक नव संचार हुआ है,
अब तो इसी 'खुशी' से मेरा सारा संसार हुआ है।
दरख्तों पर नए कोपलों सी
शहर में बढ़ते झोपड़ों सी
मेरी 'खुशी' का कोई ठिकाना नहीं।
कोयल की कूक सी
सुबह की धूप सी
चांद की रूप सी
मेरी जिन्दगी की एक-अनेक और अनेकों खुशी मेरी बेटी 'खुशी'।
खुशी मिली इतनी के आंचल में न समाए,
पलक बंद कर लूं कहीं छलक ही न जाए।
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