आरबीटीबी जी हां, किंग्जवे कैंप दिल्ली में बना राजन बाबू टीबी अस्पताल टीबी के मरीजों के इलाज के लिए बना है. लेकिन इसकी हालत देखकर लगता है इस अस्पताल को ही जिन बीमारियों ने जकड़ा हुआ है उनसे निजात दिलाने के लिए इसकी जबरदस्त सर्जरी की जरूरत है.
टीबी के मरीज बहुत संवेदनशील होते हैं और उन्हें किसी भी तरह के इन्फेक्शन की संभावना ज्यादा होती है. इन्फेक्शन के खतरे को टालने के लिए मरीज के आसपास साफ-सफाई बेहद जरूरी होती है. लेकिन इस अस्पताल में आने पर आपका यह भ्रम शायद टूट जाए. अस्पताल में जहां तहां आवारा कुत्ते घूमते हुए नजर आ जाते हैं. मरीज के बेड के आसपास और बेड के नीचे इन कुत्तों का डेरा है. मरीज और उनकी देखरेख के लिए रुके उनके रिश्तेदारों से बात करने पर वे बताते हैं कि कुत्ते ताक में रहते हैं और पलक झपकते ही सामान चुराकर ले जाते हैं. ज्यादातर बेड के साथ लगी साइड टेबल के निचले हिस्से में दरवाजा नहीं है, इसलिए सामान अंदर नहीं रखा जा सकता और कुत्ते हमेशा ताक में रहते हैं. एक मरीज के रिश्तेदार ने बताया कि नर्सिंग स्टाफ ने उन्हें आगाह किया है कि यहां एक पागल कुत्ता घूम रहा है बच के रहना.
यही नहीं मरीज के रिश्तेदारों ने बताया कि मरीजों के लिए बने टॉयलेट में सुबह-शाम छोड़कर दिनभर पानी भी नहीं आता. जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है. गंदे पानी की निकासी के लिए उचित व्यवस्था तक नहीं है, जिस कारण जगह-जगह गंदा पानी जमा है और उसमें बदबू आती रहती है.
अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ से बात करने पर उनका कहना है कि कुत्तों को कैसे रोक सकते हैं. उनके अनुसार उन्होंने एमसीडी में कुत्तों के संबंध में शिकायत की है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. यही नहीं नर्सिंग स्टाफ ने तो अस्पताल में कुत्तों की इतनी बड़ी संख्या के लिए मरीज और उनके रिश्तेदारों को जिम्मेदार ठहरा दिया. उनका कहना है कि मरीज व रिश्तेदार कुत्तों को खाना देते हैं, इसलिए वे मरीजों के आसपास घूमते रहते हैं.
टॉयलेट में पानी न होने के मामले में नर्सिंग स्टाफ सफाई देता है, 'मरीज के रिश्तेदारों को दिनभर के लिए पानी भरकर रखना चाहिए, सुबह-शाम तो पानी आता ही है.
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