Tuesday, November 26, 2013

चलिए झाड़ू लगाएं...

एक 'हाथ' ने पूरे देश में भ्रष्‍टाचार की इतनी गंदगी फैलायी कि
उसमें यूपी, उत्तराखंड से लेकर झारखंड, गुजरात, एमपी
छत्तीसगढ़ और कर्नाटक तक 'कमल' की खेती लहलहा उठी.
भ्रष्‍टाचार के इसी दलदल में कूदकर 'हा‍थी' ने आत्‍महत्‍या की तो,
दलदल की कीचड़ से 'साइकिल' से लेकर 'कटार' तक सभी सन गए.
अब किसे दोष दें ये वक्‍त, ये 'घड़ी' ही भ्रष्‍टाचार की है,
'लालटेन' भी चारे कि बिना नहीं जलता,
'धनुष-बाण' और 'तीर' भी अब भ्रष्‍टाचारियों के लिए ब्रम्‍हास्‍त्र बन गए है.
अब तो 'सूरज' भी भ्रष्‍टाचारियों के आंगन में ही उगता है,
न 'दो पत्तियां' न ही 'तीन पंखुड़ि‍यां' किसी को भी ईमानदारी की रोशनी रास नहीं आयी.
'कलम-दवात' भी भ्रष्‍टाचारियों के इतिहास को लिखते-लिखते नहीं थकते
'तराजू' भी बेइमानी के बोझ से दबा जा रहा है.
ऐसे में इस 'दल-दल' को साफ करने के लिए कोई तो चाहिए,
चलिए 'झाड़ू' लगाएं...

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