तुम्हारी मुहब्बत में,
दिन कभी दिन न रहा।
न रात कभी रात रही,
न कभी मैं ही, मैं रहा।
तुम्हारे इश्क की छांव में,
दिन पल में गुजर गया।
रात आंखों में गुजरी,
मैं भी तुममें ही कहीं खो गया।
तुम्हें अपना बनाने की हसरत थी,
तुम्हारे ख़यालों से न फुरसत थी।
तुम्हारा दिल भी 'अजेय' था,
उसमें किसी और के लिए 'हरकत' थी।
तुम न सही, तुम्हारे नाम से दिल लगा लिया,
नाम को तुम्हारे खुद में आत्मसात कर लिया।
यहां भी मेरी मुहब्बत में एक 'कंकड़' अटक गया,
और मेरा प्यार फिर से अधर में लटक गया।
एक बार तुम मुझे छोड़ गई थी,
आज मैंने तुम्हारा नाम भी छोड़ दिया है।
दिल तोड़ गई थी तुम एक दिन,
लगता है आज मैंने बदला ले लिया है।
दिन कभी दिन न रहा।
न रात कभी रात रही,
न कभी मैं ही, मैं रहा।
तुम्हारे इश्क की छांव में,
दिन पल में गुजर गया।
रात आंखों में गुजरी,
मैं भी तुममें ही कहीं खो गया।
तुम्हें अपना बनाने की हसरत थी,
तुम्हारे ख़यालों से न फुरसत थी।
तुम्हारा दिल भी 'अजेय' था,
उसमें किसी और के लिए 'हरकत' थी।
तुम न सही, तुम्हारे नाम से दिल लगा लिया,
नाम को तुम्हारे खुद में आत्मसात कर लिया।
यहां भी मेरी मुहब्बत में एक 'कंकड़' अटक गया,
और मेरा प्यार फिर से अधर में लटक गया।
एक बार तुम मुझे छोड़ गई थी,
आज मैंने तुम्हारा नाम भी छोड़ दिया है।
दिल तोड़ गई थी तुम एक दिन,
लगता है आज मैंने बदला ले लिया है।
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