Thursday, July 13, 2017

एक नाले की आत्मकथा

मैं नाला हूं।
लंबा-चौड़ा हूं और काला हूं।
मैं नाला हूं।

कभी बजबजाता हूं।
कभी गजगजाता हूं।
मैं नाला हूं।
लंबा-चौड़ा और काला हूं।

बाहें फैलाए यहां पड़ा हूं,
इंतजार में तुम्हारे खड़ा हूं।
कभी इस तरफ कदम तो बढ़ाओ
तुम्हें गले लगाने को आतुर खड़ा हूं।

आओगे जो तुम तो, गले लगा लूंगा
टांग टूटेगी तुम्हारी, मैं जिम्मेदारी लूंगा
अपने रंग में रंग दूंगा तुम्हें भी
इतना तुम्हें मैं प्यार दूंगा

सड़क पर फैला दिया जाता हूं बरसात से पहले,
निगम की मेहरबानी से विस्तार पाता हूं।
बारिश हो जाए तो कहने ही क्या,
आपकी देहरी तक को कालिख से रंग जाता हूं।

इस बार तुम्हारी इंद्रियों को अच्छे से परखूंगा,
आंखें देखेंगी मुझे, त्वचा महसूस करेगी और नाक सिकुड़ जाएगी।
इतनी बदबू फैलाऊंगा इस बारिश के मौसम में,
बेहोश करने के लिए एनस्थिसीया की जरूरत नहीं रह जाएगी।

दिल खोलकर तुम बारिश का स्वागत करना
मैं तुम्हारे इंतजार में रहूंगा,
जो तुम न आओगे, तो घर तक चला आऊंगा
शिकवा-शिकायत का तुम्हारे पास मौका नहीं छोडूंगा।

बीमारियां भी फैलाऊंगा और इल्जाम भी न लूंगा
तुमने ही तो मुझे पाल-पोशकर इतना बड़ा किया है
तुम्हारा कर्ज जरूर लौटाऊंगा,
तुम बाज आओगे नहीं, तुम्ही को तुम्हारा दिया लौटाऊंगा।

(C) दिगपाल सिंह

Tuesday, July 11, 2017

अमरनाथ यात्रा के दौरान आतंकियों के हाथों मारे गए भक्तों को श्रद्धांजलि

मैं तो बम भोले के नारे लगाता आया था,
पूरे उत्साह से बाबा तेरे दर्शनों को आया था।
हिमलिंग पर तेरे फूल-पाती चढ़ाने आया था,
अपने दुख-दर्द भूलकर तुझे नवाने आया था।

तेरे दर्शनों का सौभाग्य मुझे मिला,
जीवन का हर सुख मुझे मिला।
तेरे दर्शन करके मैंने सब कुछ पा लिया,
और फिर में घर की ओर चल दिया।

तेरी भक्ति रोम-रोम में बस गई थी,
रास्ते में 'शैतान' की संतानें खड़ी थीं।
गोलियों से छलनी कर दिया मेरा सीना
फिर भी दिल में मेरे तेरी ही तस्वीर पड़ी थी।


तेरा नाम लेते हुए मैंने आखिरी सांस ली,
शायद तेरी यही मर्जी थी।
मौत से पहले तेरे दर्शन हो गए,
ले बाबा हम हमेशा के लिए तेरे ही हो गए।

Saturday, July 8, 2017

पैरों में लिपटकर देहरी और फिर बेडरूम तक चली आयी...

कल तक मेरे मुंह लग रही थी, मुझे चिढ़ा रही थी
सिर पर चढ़कर मेरा 'जीना' मुहाल कर रही थी।
आज हालात थोड़ा मेरे पक्ष में क्या हुए,
पैरों में लिपटकर देहरी और फिर बेडरूम तक चली आयी।
इंसान ही नहीं, धूल का भी स्वभाव ऐसा होता है।।