Sunday, March 29, 2020

बहुत सालों बाद दीदार हुआ, तुम कहां थे?


Tuesday, March 24, 2020

बस कर तू भी बावली ना हो जाना, ये नफरत नहीं तेरा प्यार है

आज वो बड़ी खुश है
या बड़ी ही व्याकुल
आंगन तक आ गई मेरी
कह रही है चल बाहर निकल।

सड़क वीरान है
चिड़िया वो नादान है
चिल्ला चिल्ला कर कह रही
चल लौंग ड्राइव पर चलें।

अधीर है बेचारी
समझ नहीं पा रही
मैं घर में क्यों पड़ा हूं
बाहर आने की जिद कर रही

अकेली नहीं
दूसरे साथियों को भी लाई है
सब आज कलरव करते हैं
जैसे मेरी गुलाम मजबूरी पर हंसते हैं।

या अपनी आजादी का जश्न मना रहे
मेरे जख्मों को कुरेद रहे
मै कैद हुआ तो हवा भी बावली हो गई
आंधी बनकर मुझे चिढ़ाने अंदर तक आ गई।

बस कर तू भी बावली ना हो जाना
ये नफरत नहीं तेरा, प्यार है चिड़िया
बिछड़कर मैं भी रोया हूं कभी बहुत
अब तू 'जीना' मत छोड़ देना चिड़िया।

(c) दिगपाल सिंह

Sunday, March 22, 2020

अजब ये संक्रमण काल है


रास्ते सूने, सड़कें सूनी हैं
अजब ये संक्रमण काल है।
हम भी, तुम भी घर में बंद हैं,
कोरोना आया बनकर काल है।

कंकर भी न हिला आज रास्ते से,
सड़कें भी विधवा सी सूनी हैं।
तुम घर में रहो, सदा खुश रहो
तुमसे देश को उम्मीदें दूनी हैं।

पंछी, नदिया सब आगे बढ़ गए
आज हम अपने ही घर की सीढ़ियां चढ़ गए।
रास्ते सूने, सड़कें सूनी हैं,
बता तो फिजाओं को हम भी जुनूनी हैं।

अब हमने रार ठान ली है,
काल के कपाल पर नई इबारत लिख देंगे।
यू न हमारी हस्ती को मिटा पाएगा कोई,
हर मुसीबत को राह से हटाकर ही मानेंगे।

(c) दिगपाल सिंह