Tuesday, March 2, 2021

चिड़िया के घर का वर्णन आज के नजरिए से

सबसे पहले मेरे घर का

अंडे जैसा था आकार 

तब मैं यही समझती थी बस

इतना-सा ही है संसार। 


फिर मेरा घर बना दुकान का शटर

टिन की चादर से तैयार

तब मैं यही समझती थी बस

इतना-सा ही है संसार।


फिर मैं निकल गई बिल्डिंगों पर

ऊंची-ऊंची थीं जो बेकार

तब मैं यही समझती थी बस

इतना-सा ही है संसार।


आखिर जब मैंने आसमान में

उड़ने की कोशिश की हजार

हर तरफ बिल्डिंगें ही नजर आईं

पेड़-पौधों से धरती पायी बेजार


तब मेरी समझ में आया

बहुत ही नर्लज

बड़ा ही बेशर्म

है यह इंसान बड़ा ही बेकार।

(C) Digpal Singh Jeena

No comments:

Post a Comment