अभी तो ये पहला ही पड़ाव है,
पहाड़ से नदी का उथला बहाव है।
मंजिलें आएंगी राह में कितनी और,
मंजिल दूर है अभी, ये बस ठहराव है।
तुम्हें यू ही चलते जाना है,
तुम्हें यूं ही बहते जाना है।
रुकावटें भी आएंगी राह में,
तुम्हें उन्हें पीछे छोड़ते जाना है।
नदी सा बहो तुम,
सुनसान राहों में झरने भी आएंगे।
वीरान जंगल और चकाचौंध शहर भी आएंगे,
रुकना नहीं, ये तुम्हें मंजिल से भटकाएंगे।
तुम्हें बहते जाना है,
ये तो एक छोटा सा पड़ाव है।
मदमस्त होकर चलते चलो तुम,
तुम्हें तो नीले समंदर तक जाना है।
आसमान की बुलंदियां तुम्हारी हैं,
अभी तो मेहनत की बहुत तपिश झेलोगे
आग से डरना तुम्हारा काम नहीं,
जलोगे तभी तो धुंए की तरह आसमान छुओगे।
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