Wednesday, September 22, 2021

अपने संस्कार छोड़कर मैं, तुम्हारे जाहिल संस्कारों का हो गया

 हम जाहिल थे,

हम गंवार थे।

तुमने पूरी मेहनत की

हम मान भी गए तुम्हारी बात।


वक्त का पहिया घूमा

हमने अपने जाहिल संस्कार छोड़े।

तुमने जो कहा वो किया,

जमीन से अपने संबंध भी तोड़े।


गंगा स्थिर न रह सकी,

न जाने कितना पानी इसमें बह गया।

अपने संस्कार छोड़कर मैं,

तुम्हारे जाहिल संस्कारों का हो गया।


आज तुम मेरे उन्हीं संस्कारों की माला जपते हो,

जिन्हें मेरे गंवार होने का सर्टिफिकेट बताते थे।

कोयला आज तुम्हारा टूथपेस्ट है,

नमक से तुम्हारे दन्तमंजन का टेस्ट है।


जेल लगाना सिखा दिया तुमने मुझे,

आज खुद शैंपू में भी तेल मिलाते हो।

जिम की आदत लगाकर मुझे,

खुद योग में चैन की सांस पाते हो।

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