उत्सव शर्मा, इस नाम से अब हर कोई वाकिफ है। पहले 8 फरवरी 2010 को रुचिका गिरहोत्रा को प्रताड़ित कर उसे आत्महत्या करने पर मजबूर करने वाले हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौड़ पर इनका गुस्सा फूटा। और फिर एक साल शांत रहने के बाद 25 जनवरी 2011 को इन्होंने राजेश तलवार पर हमला कर दिया। जनाब आरुषि-हेमराज हत्याकांड में सीबीआई द्वारा आरुषि के पिता राजेश तलवार पर शक जाहिर करने के बावजूद हो रही देरी से नाराज थे। पहली घटना चंडीगढ़ की सेशन कोर्ट में हुई, जबकि दूसरी घटना गाजियाबाद में सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में। उत्सव के पिता बनारस के बीएचयू में प्रोफेसर हैं और उसने अहमदाबाद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआइडी) से एनिमेशन और फिल्म डिजाइनिंग में एमए किया है। उत्सव का नाता अब चार शहरों से है लेकिन इन दो घटनाओं से न तो पहले और न बाद में उसने किसी भी निर्दोष पर हमला किया।
राजेश तलवार पर हमले के बाद उत्सव के वकील, पुलिस, माता-पिता और डॉक्टर सभी उसे मानसिक रोगी बता रहे हैं। माफ कीजिएगा, मेरी राय इस मामले में थोड़ा नहीं बहुत अलग है। खैर मेरी राय बाद में, पहले कुछ और चीजें जान ली जाएं। उत्सव को बाईपोलर डिसआर्डर (मैनिक डिप्रेशन) नाम की बीमारी से ग्रस्त बताया जा रहा है। उत्सव के वकील के अनुसार, इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति अक्सर उत्तेजित व तनावग्रस्त हो जाते हैं। उसे दिल्ली के एम्स या आगरा के अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज किए जाने की बात कोर्ट भी मान गई है। राजेश तलवार पर हमले के बाद उत्सव ने कहा था कि उसने तलवार को चोट पहुंचाने के लिए हमला किया था, न कि उसे मारने के लिए। इसके अलावा उसने यह भी कहा कि महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों से वह बेहद परेशान था, इसलिए उसने उन लोगों को सबक सिखाने के लिए यह रास्ता चुना। रुचिका मामले में राठौड़ पर हमला करने से पहले वह इस केस को लेकर काफी परेशान था और इस पर एक फिल्म बनाना चाहता था।
जैसा कि मैंने पहले कहा, उत्सव ने इन दो हमलों से न तो पहले और न बाद में किसी निर्दोष व्यक्ति पर हमला किया। ऐसे में मेरे दिमाग में एक सवाल कौंध रहा है कि असल में बीमार कौन है, और कितना है और फिर उसका इलाज क्या है? क्योंकि उत्सव ने अब तक उन्हीं लोगों पर हमला किया है, जो व्यवस्था की कमी या न्याय की सुस्त चाल के चलते खुले आम घूम रहे हैं। उत्सव को देखकर एक फिल्म याद आती है ‘अपरिचित’। मल्टी पर्सनेलिटी डिस्ऑडर पर बनी इस फिल्म में हीरो जब भी जुर्म होते देखता है, वह अपरिचित बनकर अपराधी को गरुड़ पुराण के अनुसार सजा देता है। उसकी प्रेमिका उसे घास नहीं डालती तो वह रेमो बन जाता है और आम जिन्दगी में वह डरा-सहमा सा रामानुजम उर्फ अम्बी है। उत्सव को बाईपोलर डिसआर्डर नाम की बीमारी से ग्रस्त बताया जाता है। असल में बीमार हमारी व्यवस्था है, जो अपराध रोकने में लगातार नाकामयाब हो रही है। बीमारी हमारी न्याय व्यवस्था व पुलिस प्रणाली में फैल चुकी है, जो अपराधियों को उनके अंजाम तक नहीं पहुंचा पा रही है। ऐसे में एक उत्सव क्या हजारों उत्सव पैदा हो सकते हैं, जो एक दिन अपने हाथों में हथियार थामकर अपराधियों को अपने अनुसार सजा देंगे। वैसे भी हमारे समाज पर बॉलीवुड की खासी छाप है, बॉलीवुड फिल्मों में जब अपराधी न्याय व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हैं और प्रशासन को अपनी जेब में रखते हैं तो एक हीरो सामने आकर अपराधियों को चुन-चुन कर मारता है। राठौड़ पर हमले के बाद एक राष्ट्रीय अंग्रेजी अखबार की वेबसाइट पर Utsav Sharma ban gaya hero? हेडिंग से खबर लगी। मैं उत्सव को हीरो तो नहीं मानता लेकिन मानता हूं कि हम सब कायरों और मानसिक रोगियों के बीच वही एक दिलेर है जो अपने दिल और दिमाग की बात मानता है और अपराधियों के लिए खौफ बनने की राह पर निकल पड़ता है। जितनी तत्परता से उत्सव को गिरफ्तार किया गया या जितनी तेजी से उत्सव ने अपराधियों के खिलाफ अपना फैसला सुनाया है, उतनी ही तेजी से अगर हमारी पुलिस, न्याय-व्यवस्था और हम सब अपराध व अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करें तो इस समाज से अपराध का नामोनिशान मिट जाएगा और अपराधी अपराध करने से पहले सौ बार अपने अंजाम के बारे में सोचेंगे।
उत्सव के बारे में कुछ जानकारी
30 वर्षीय उत्सव वाराणसी का रहने वाला है और उसने अहमदाबाद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइनिंग (एनआईडी) से फिल्म प्रोडक्शन की पढ़ाई की है।
उत्सव तलवार से पहले रुचिका गिरहोत्रा मामले के दोषी हरियाणा के पूर्व डीजीपी एस.पी.एस. राठौड़ पर भी चंडीगढ़ की एक अदालत परिसर में हमला कर चुका है। फरवरी 2010 में उत्सव ने राठौड़ के चेहरे पर चाकू से तीन बार हमला किया था।
चंडीगढ़ स्थित जाट धर्मशाला के मुताबिक उत्सव राठौड़ पर हमले से पहले वहां 40 रुपए प्रतिदिन के किराए पर कुछ दिनों तक रुका था। यह धर्मशाला राठौड़ के घर के करीब ही है।
करीबी लोगों के अनुसार उत्सव रुचिका मामले को लेकर बहुत परेशान था और वह इस विषय पर एक फिल्म बनाना चाहता था।
करीबी लोगों के अनुसार महिलाओं के विरुद्ध होने वाले किसी भी तरह के अपराध पर वह बहुत संवेदनशील हो जाता था और किसी न किसी रूप में उस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करता था।
आप सोच रहे होंगे अब इतनी देर में क्यों तो आपको बता दूं लाइवहिन्दुस्तान के ब्लॉग पर उस समय लिखा था लेकिन अपने व्यक्तिगत ब्लॉग पर पोस्ट को टांगने का वक्त अब ही मिला है।
No comments:
Post a Comment