Wednesday, August 10, 2011

आज फिर यमुना को मुस्कुराते देखा

आज फिर यमुना को मुस्कुराते देखा
अपनी ही जवानी पर इठलाते देखा
मदमस्त अपनी चाल में बल खाते देखा

पानी से लबालब भरी थी आज यमुना
किनारों पर उछल-कूद कर रही थी आज यमुना
बहारों के दिन लौट आये, गा रही थी आज यमुना

लेकिन...

बीचों बीच एक बड़े से टापू को उसे चिढ़ाते देखा
गंदे पड़े किनारों को उसकी शान में बट्टा लगाते देखा
पुल पर खड़े लोगों पर यमुना पर झूठा सट्टा लगाते देखा

यमुना फिर चली है खुद ही करने अपनी सफाई
रोज नेताओं से मिलती रही इसे दुहाई
आज उसे खुद ही अपनी सफाई में तैनात होते देखा

जिन किनारों पर पसरा रहता था सन्नाटा
उन्हीं किनारों पर आज कल-कल शोर सुना
और सूने पड़े चुके किनारों पर बच्चों-बड़ों-बूढ़ों को आते देखा।

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