आजादी के दीवाने आज भी हैं
खुले आसमान में पंख पसार
उड़ने की चाह रखने वाले
कुछ परवाने आज भी हैं।
धूप पंख जला देगी तो क्या हुआ
बारिश और हवा उड़ने नहीं देगी
तो क्या हुआ...
अरमानों को पंख लगाने का विश्वास आज भी है।
दुनिया देखेगी एक दिन अपनी भी उड़ान
तो क्या हुआ अभी वक्त लगेगा...
एक दिन पूरी सरगम अपनी होगी
और साज भी अपना होगा।
भारत माता के वीर सपूत
फिर उठ खड़े होंगे,
भ्रष्टों की गिरफ्त से होगा आजाद अपना हिंद
क्योंकि...
आजादी के दीवाने आज भी है।
Sunday, August 14, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment