Wednesday, November 30, 2016

सुधर जा... 'ये वक्त हमेशा नहीं रहेगा'

अब सुबह के साथ दिन होता है,
सूरज छिपने के साथ होती है रात।
ऐसी प्यारी भी जिंदगी होती है,
ऐसे में क्या करूं उस असंस्कारी की बात।

घोटालों के सरदार के साथ फंसा था,
उसने एक नया व्यापमं जो गड़ा था।
अभिमानी और ब्राह्मण दोनों था,
लेकिन रावण का अंश मात्र भी न था।

न जाने किसने उसे यहां तक पहुंचा दिया,
जैसे कीचड़ में रहने वाले जानवर को घर में पाल लिया।
मैं बस इतना कहूंगा, सुधर जा... 'ये वक्त हमेशा नहीं रहेगा'
मेरा बुरा नहीं रहा, तेरा हमेशा अच्छा नहीं रहेगा।

(C) दिगपाल सिंह

Thursday, November 10, 2016

आज फिर नई राह पर चल पड़ा हूं...

पुराने रास्तों से मुंह मोड़ चला हूं,
आज फिर नई राह पर चल पड़ा हूं।
नई सुबह है, नई राह और नई मंजिल भी
सूरज का दामन थाम, आगे बढ़ चला हूं।

उगते सूरज सी लालिमा चेहरे पर लिए
चढ़ते सूरज सी तपिश हौसलों में है,
कल की बात को कल में ही दफन कर
आज फिर नई राह पर चल पड़ा हूं।

अडिग-अचल हिमालय जैसे इरादे लिए
दिल में गंगा सी निर्मलता और आंखों में वेग लिए
अपने सागर की तरफ बढ़ चला हूं,
अपने हर अरमान का 'जागरण' कर चला हूं।

- (C) दिगपाल सिंह 

Friday, November 4, 2016

लगता है आज मैंने तुम्हारी मुहब्बत का बदला ले लिया है

तुम्हारी मुहब्बत में,
दिन कभी दिन न रहा।
न रात कभी रात रही,
न कभी मैं ही, मैं रहा।

तुम्हारे इश्क की छांव में,
दिन पल में गुजर गया।
रात आंखों में गुजरी,
मैं भी तुममें ही कहीं खो गया।

तुम्हें अपना बनाने की हसरत थी,
तुम्हारे ख़यालों से न फुरसत थी।
तुम्हारा दिल भी 'अजेय' था,
उसमें किसी और के लिए 'हरकत' थी।

तुम न सही, तुम्हारे नाम से दिल लगा लिया,
नाम को तुम्हारे खुद में आत्मसात कर लिया।
यहां भी मेरी मुहब्बत में एक 'कंकड़' अटक गया,
और मेरा प्यार फिर से अधर में लटक गया।

एक बार तुम मुझे छोड़ गई थी,
आज मैंने तुम्हारा नाम भी छोड़ दिया है।
दिल तोड़ गई थी तुम एक दिन,
लगता है आज मैंने बदला ले लिया है।

Wednesday, November 2, 2016

तुझे अंतहीन शून्यों में पहुंचा दूंगा

तूने मेरे हिस्से का सूरज छीन लेने की ठानी थी,
ऐसी हरकतें तो तेरी रोज की कहानी थी।
जो तू कभी मुस्कुरा भी देता तो,
मैं जानता था तेरी वो हंसी भी बेमानी थी।

दिन तो तू मुझसे छीन सकता था,
मेरी हाथ की लकीरों का क्या बिगाड़ लेता।
जी भरकर तूने अपनी मक्कार हरकतों को दिखाया,
फिर भी मेरे खुदा ने मेरे लिए सूरज जुगाड़ लिया।

शून्य से शुरू हुए इस ब्रह्मांड में
तुझे अंतहीन शून्यों में पहुंचा दूंगा।
मेरी किस्मत में हो न हो,
एक दिन तुझे जन्नत की सैर करा दूंगा।

Monday, October 31, 2016

कचड़ा इकट्ठा करने वाला है तू, तेरी 'वो' औकात नहीं


हीरे की कद्र तो आम जौहरी को भी पता नहीं,
फिर तू तो छोटा-मोटा कबाड़ी है।
मेरी काबीलियत को क्या आंकेगा,
कचड़ा इकट्ठा करने वाला है तू, तेरी वो औकात नहीं।

शून्य का भी अपना बड़ा महत्व होता है
शायद ये तेरी तिल जैसी खोपड़ी में रत्तीभर घुसा नहीं।
तेरी घटिया सोच के कारण ही सही
आज मैंने ब्रह्मांण को आत्मसात कर लिया।

Wednesday, October 26, 2016

जानता हूं मैं, बेशर्म है तू बहुत

जानता हूं मैं, बेशर्म है तू बहुत,
तेरी बेशर्मी का क्या जिक्र करूं।
जीता हूं मैं जिंदादिली से,
तेरी नाराजगी की क्यों फिक्र करूं।

बात-बात पर तेरे चेहरे पर आती कुटिल मुस्कान,
तेरी बेहया हरकतों का क्या जिक्र करूं।
किसी संपोले की याद दिलाता है तू मुझे,
डंक निकालना जानता हूं, तो क्यों फिक्र करूं।

कुनबे के साथ हमेशा बिल में ही छुपा रहेगा?
या फिर कभी तो बाहर भी आएगा।
जानता हूं तेरे फन को कुचल दूंगा मैं एक दिन,
इसलिए बेफिक्र हूं, क्यों मैं तेरी फिक्र करूं।

Tuesday, October 25, 2016

बड़ा घना तेरी अज्ञानता का अंधकार है

मुझ पर मेरे रब की रहमत बरसती है
तेरी नजर-ए-इनायत की जरूरत नहीं,
तुझे खुश करने में क्यों वक्त ज़ाया करूं
अच्छा है मैं दिन-रात उसकी इबादत करूं।

छोटा है तू अभी बहुत, फिर भी...
घमंड से भरा हुआ है,
रावण बन जाता तो फिर भी कोई बात थी
खर-दूषण के आगे क्या शीश नवाऊं।

रावण तो फिर भी ज्ञानी था
राक्षसी सेना से भरपूर साथ मिला,
बड़ा घना तेरी अज्ञानता का अंधकार है
तेरी ही तरह तेरी सेना भी बेकार है।

Tuesday, September 6, 2016

मिशन यूपी की पहली ही रैली में राहुल गांधी ने 'कांग्रेस की खटिया' लुटवा दी

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के देवरिया में 'खाट सभा' करके अपने यूपी मिशन की शुरुआत की. लेकिन जिस तरह से सभा के बाद खाट के लिए लूट मची वह कुछ और ही स्थिति बयां कर रही है. पहली नजर में देखने पर लगा जैसे खाट नहीं यूपी में एक बार फिर से कांग्रेस की इज्जत लुट रही है. दशकों से उत्तर प्रदेश में सत्ता से बाहर बैठी कांग्रेस की सभाओं में अगर ऐसे ही लूट मचती रही तो विपक्षी पार्टियों को कांग्रेस के युवराज पर तंज कसने के मौके मिलते रहेंगे. दिल्ली में बैठे लोग फिर पप्पू हैशटैग के साथ कुछ जुमले गढ़ेंगे.

वैसे जिस तरह से 'खाट के लिए लूट' मची उसे देखकर सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बेहद खुश होंगे. हों भी क्यों ना, उन्होंने ही तो लूट की यह पूरी साजिश तैयार की है. भले ही उन्होंने खुद 'कांग्रेस की खाट' न लुटवाई हो, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि तो उन्होंने ही तैयार की है. जरा दिमाग पर जोर डालेंगे तो याद आएगा कि दो-चार दिन पहले ही तो अखिलेश ने टर्म-एंड-कंडीशन के साथ वोटरों को मुफ्त स्मार्टफोन देने की बात कही थी. लेकिन इसके लिए उन्हें फिर से चुनकर लाना पड़ेगा. राहुल की सभा में पहुंचे लोगों ने सोचा अखिलेश का स्मार्टफोन जब मिलेगा तब मिलेगा, फिलहाल कांग्रेस की 'खटिया लूटने' में ही भलाई है.

बता दें कांग्रेस के युवराज देवरिया से दिल्ली तक की 2500 किलोमीटर लंबी किसान यात्रा कर रहे हैं. यात्रा की शुरुआत में ही वे इतनी खाटें लुटवा चुके हैं कि अब कांग्रेसजन डरे हुए हैं कि कहीं लोग उनके अपने घरों में रखी खाटें भी न लूट ले जाएं. हो सकता है कि देवरिया के लोगों को 'आत्मज्ञान की प्राप्ति' हो गई हो... और उन्हें लगा हो कि 2जी, कॉमनवेल्थ गेम्स और कोयला घोटाले में जिस तरह से कांग्रेस ने देश को लूटा है, क्यों न हम उनकी खटिया लूट लें, ताकि उनकी नींद उड़ जाए...

Monday, April 11, 2016

एक इंडिया हैप्पी वाला, एक भारत बिना पानी वाला

देश में क्रिकेट प्रेमियों पर धीरे-धीरे आईपीएल का सुरूर चढ़ने लगा है। चढ़े भी क्यों नहीं! आईपीएल के इतिहास की शायद सबसे अच्छी टैग लाइन इसी बार दी गई है...  ‘एक इंडिया हैप्पी वाला’। आईपीएल के टीजर में लोगों को लड़ते-झगड़ते, तोड़-फोड़ करते दिखाया गया है, लेकिन छोटे बच्चे आकर लड़ते-झगड़ते लोगों को भारत में धर्म की तरह माने जाने वाले क्रिकेट से रूबरू कराते हैं और हर कोई खुश नजर आने लगता है।

‘प्यार वाला, मुस्कान वाला... हो… एक इंडिया हैप्पी वाला...’ जब ये पंक्तियां स्क्रीन पर गूंजती हैं तो झमाझम बूंदों में उछलते हुए बच्चे दिखाई देते हैं। क्रिकेट के कारण ही भारत में करोड़ों हाथ उस समय ऊपरवाले से दुआ के लिए भी उठते हैं, जब टीम इंडिया मुसीबत में होती है। आईपीएल में क्रिकेट तो है, हैप्पी वाला इंडिया भी है और ऊपरवाले से दुआ के लिए उठते लाखों हाथ भी हैं। इस बीच आईपीएल और उसका यह टीजर कुछ लोगों को टीज (परेशान) भी कर रहा है।

आईपीएल के विज्ञापन में झमाझम बूंदों के बीच उछलते बच्चे ‘हैप्पी वाला इंडिया’ का संदेश दे रहे हैं और देश के कई हिस्से जबरदस्त सूखे की चपेट में हैं। सूखा प्रभावित उन इलाकों में झमाझम न सही कुछ ही बूंदें भी बरस जाएं तो लोगों के चेहरों की असली खुशी सच में देखने लायक होगी। महाराष्ट्र में मराठवाड़ा और उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में लोगों को जबरदस्त पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। यहां लोग बूंद-बूंद को तरस रहे हैं और ऐसे में ‘एक इंडिया हैप्पी वाला’ बेमानी सा लग रहा है।

सूखे के कारण आईपीएल के आयोजन पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। महाराष्ट्र में तो क्रिकेट मैच रद्द कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा तक खटखटाया जा चुका है। फिलहाल आईपीएल ‘एक इंडिया हैप्पी वाला’ दिखा रहा है और बिना पानी वाले इंडिया को दिखाने की हिम्मत सही मायनों में कोई भी नहीं कर पा रहा है।

एक क्रिकेट प्रशंसक के तौर पर उस वक्त बड़ा दुख होता है, जब सूखे से लेकर पाकिस्तान से रिश्तों तक के बीच क्रिकेट को घसीट लिया जाता है। विशेषज्ञ भी तो यही कह रहे हैं। हाल में सीमित ओवरों में टीम इंडिया के कप्तान और आईपीएल में ‘राइजिंग पुणे सुपरजाइन्ट्स’ के कप्तान महेंद्र सिहं धोनी ने भी यही बात कही। धोनी ने कहा, ‘आईपीएल मैचों को रद्द करना सूखे का हल नहीं है।’ सही बात है, ये कोई हल थोड़े ही है कि क्रिकेट के खेल को रोक दिया जाए। लेकिन क्रिकेट के मैदान को खेलने लायक बनाने में जितना पानी बहाया जाता है उसको देखते हुए सूखे के बीच क्रिकेट खेलने का विरोध कर रहे आलोचक भी सही लगते हैं। जिस तरह से तनाव के पलों में लाखों प्रशंसकों की निगाहें और हाथ ऊपरवाले की ओर उठते हैं उसी तरह से देश के करोड़ों किसान भी ऊपरवाले से ही उम्मीद लगाए बैठे हैं।

सूखे ने कुएं ही नहीं उनकी आखों का पानी भी सुखा दिया है और अब वे पत्थरा सी गई हैं। हाथ हर दम ऊपरवाले से दुआ के लिए उठते हैं और जल्द ही चिंता में सिर पर आकर बिछ जाते हैं। शहरी अमीरी और ग्रामीण गरीबी को परिभाषित करने के लिए अक्सर ‘इंडिया और भारत’ की बात कही जाती है। इसी तरह आजकल ‘एक इंडिया हैप्पी वाला’ और एक भारत बिन पानी वाला हो गए हैं।

Monday, January 11, 2016

तुझे जन्नत की सैर जरूर करा दूंगा

तूने मेरे हिस्से के सूरज को छीन लेने की ठानी है,
जा तुझे माफ किया ऐसी हरकतें तो तेरी रोज की कहानी है।

दिन तो तू मुझसे छीन सकता है,
लेकिन मेरी हाथ की लकीरों का क्या बिगाड़ लेगा
जा कर ले जो कर सकता है,
मेरा खुदा है जो मेरे लिए रात में भी सूरज जुगाड़ लेगा।

तू यूं ही साजिशें रचता रह जाएगा
मैं यूं ही तेरी साजिशों का मोहरा बनता रहूंगा
तू यूं ही अपनी जगह बचाता रह जाएगा
एक दिन मैं तुझे नेस्त नाबूत कर दूंगा
मेरी किस्मत में हो न हो,
तुझे जन्नत की सैर जरूर करा दूंगा।

Monday, January 4, 2016

तेरी रहमतों की दरकार नहीं मुझे

तेरी रहमतों की दरकार नहीं मुझे,
मैं भी अच्छी तरह जानता हूं तुझे।
न जाने तुझमें ये अभिमान कहां से आ गया,
और तुझे लगता है कि तू भगवान हो गया।

तेरी बनाई हर एक फांस से निकल आऊंगा,
तू लाख कोशिशें कर ले, तेरी शरण न आऊंगा।
तेरी जिंदगी का मकसद भले ही हो मुझे बर्बाद करना,
मुझे तो बस मेरे अराध्य के चरणों में ही है मरना।

एक दिन तेरे हर एक जुल्म का हिसाब होगा,
अंग-अंग से तेरे खून-पीप का रिसाव होगा।
मैं तब भी कहूंगा अपने खुदा से,
इस निर्लज को माफ कर दो, मेरी बला से।

मैं खुश हूं

मैं खुश हूं इस जिंदगी से
तू दुखों का सागर है,
जीता हूं मैं जिंदादिली से
तू गमों से भरी गागर है।

Sunday, January 3, 2016

रात के ये लम्हे

रात के ये लम्हे कितने खूबसूरत होते हैं,
कितनी शांति ये खुद में समेटे होते हैं।
इन लम्हों में कुछ तो खास बात है,
जिन्हें आप चाहो, सिर्फ उन्हीं का साथ है।

शांत और स्थायी रात के ये लम्हे छलनी की तरह,
सारी बुराईयों और दुष्वारियों को छान लेते हैं।
इनके एक-एक कतरे में जीवन के लुत्फ भरे होते हैं
तभी तो इन लम्हों के रिश्ते भी काफी गहरे होते हैं।

रात के ये लम्हे कितने खूबसूरत होते हैं,
दिन के उजाले में जो छिपा लेते हैं चेहरे के भाव
रात होते ही उनके असली चेहरे सामने होते हैं
नकाब उतार ये लम्हे, असली चेहरे सामने रख देते हैं।
(C) दिगपाल सिंह

हार न मानने वाले तेवर

तेवर तो अब भी वैसे ही तल्ख हैं हमारे
कुछ आराम के मूड में हैं, नहीं हैं हारे
दुश्मन को भी सांस लेने का मौका देते हैं
इसलिए कुछ देर युद्ध विराम कर लेते हैं।

अंगारे आज भी वैसे ही दहक रहे हैं,
हाथ लगाकर देख लो, गर्म राख गवाह है
गर्मी जवानी की नहीं, ये हमारी फितरत है
अभी कुछ आराम, फिर समझो दुश्मन की आफत है।
(C) दिगपाल सिंह